Sirsa News: हरियाणा के इस जिले में धारा 144 लागू, प्रशासन ने दी ये चेतावनी
सिरसा :- पूरे प्रदेश में फिलहाल गेहूं की कटाई का कार्य बिल्कुल अंतिम चरण पर है. लगभग हर जिले में फसल कटाई का कार्य पूरा हो चुका है. ऐसे में जिला प्रशासन की तरफ से किसानों को गेहूं के अवशेष खेतों में न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. इसके लिए जिला प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए धारा 144 भी लगा दीं है. प्रशासन की तरफ से साफ कर दिया गया है कि यदि कोई भी गेहूं के अवशेष जलाता हुआ दिखा तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी.
क्षेत्र में लागू की गई है धारा 144
एक तरफ तो प्रशासन ने किसानों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है वहीं दूसरी तरफ वह ग्राम पंचायतों और कृषि विभाग की तरफ से किसानों को अवशेष ना जलाने के लिए जागरूक भी कर रहा है. किसान भी प्रशासन की इस मुहिम से प्रेरित होते दिख रहे हैं. सिरसा उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने गेहूं के अवशेषों को जलाने पर जनहित में दंड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 के तहत तुरंत प्रभाव से Ban लगाने के Order दें दिए हैं. जिससे Environment क़ो कोई नुकसान न पहुंचे. आप ये लेख KhabriExpress.in पर पढ़ रहे है. आपकी इस पोस्ट के बारे मे क्या राय है मुझे कॉमेंट बॉक्स मे जरूर बताएं.
अवशेष न जलाकर ले सकते हैं दो लाभ
सिरसा उपायुक्त ने जों Order दिए है उनका प्रभाव होता भी नजर आ रहा है. इलाके के किसान गेहूं के बचे हुए अवशेषों की तुड़ी बनाने में लगे हैं और अन्य किसानों को अवशेषों में आग नहीं लगाने के लिए प्रोत्साहन दे रहे हैं. किसान बलदेव सिंह, विशाल और गोबिंद का कहना है कि पिछले कई वर्षों से वह फसल कटाई के बाद फसलों के अवशेष की तुड़ी बनाते हैं और दूसरे किसान भाइयों को भी यही कहते हैं कि फसल काटने के बाद उसके अवशेषों को न जलाएं. उनका कहना है कि ऐसा करके उन्हें एक नहीं बल्कि दो-दो लाभ होंगे. एक तो इसकी तुड़ी बनाकर पशुओं के चारे के काम में आएगी दूसरा पर्यावरण भी दूषित नहीं होगा.
किसान अपनाये पराली प्रबंधन के उपाय
सिरसा उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने बताया कि अभी गेहूं की कटाई चल रही है, यह अपने अंतिम चरण में है. इसलिए हर साल की तरह इस साल भी किसान गेहूं के अवशेषों में आग न लगाए. इसके लिए धारा 144 लगाई गई है. उनका कहना है कि किसान पराली प्रबंधन के उपाय अपनाएं और सरकारी योजनाओं का बेनिफिट ले. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार किसानों को पराली प्रबंधन के लिए एक हज़ार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि भी दे रही है तथा सरकार की तरफ से पराली प्रबंधन के लिए काम आने वाली मशीनों पर अनुदान भी दिया जा रहा है.