Edible Oil Rate: औंधे मुँह गिरे खाने के तेल के रेट, कोरोना के पहले के स्तर पर पहुंचे दाम
नई दिल्ली, Edible Oil Rate :- आए दिन बढ़ रही महंगाई के प्रभाव से कोई भी चीज छूटी नहीं है. घर के सामान से लेकर रसोई तक के सामान की कीमतों में तेजी से वृद्धि हो रही है. सभी घरों में प्रयोग किया जाने वाला सरसों का तेल भी आज महंगाई के कारण सातवें आसमान पर है. Sarso के तेल में भी निरंतर वृद्धि देखने को मिल रही थी, इसी बीच सरसों के तेल में एक बार फिर गिरावट दर्ज की जा रही है. वहीं अनुमान लगाया जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर घट रहे दामो के कारण आने वाले दिनों में भी खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है.
खाद्य तेलों की कीमतों में आई गिरावट
बता दे कि कोरोना महामारी के समय सरसों के तेल की कीमतों में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई थी, क्योंकि उस समय सरसों के तेल की मांग बहुत अधिक बढ़ गई थी, जबकि सरसों का उत्पादन काफी कम हुआ था. Corona के शांत होने के बाद एक बार फिर सरसों के तेल में गिरावट देखने को मिल रही है. 3 महीने पहले तक सरसों का तेल 140 रूपये लीटर के हिसाब से बिक रहा था, परंतु अब 110 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बिक रहा है. समय- समय पर तेल की कीमत घटती- बढ़ती रहती है. काफी लंबे समय के बाद एक बार फिर सरसों के तेल की कम कीमत होने के कारण ग्राहकों को राहत मिलती दिखाई दे रही हैं.
सरसों और सोयाबीन तेल बिक रहा इस कीमत पर
कारोबारी मनीष राठौड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना काल के समय खाद्य तेलो की कीमत जितनी थी, एक बार फिर Oil की कीमत उतनी ही ऊंचाई पर पहुंच गई है. होलसेल बाजार में पामोलिन Oil की कीमत 1600 रूपये, गोल्डलाइन की कीमत 1700 रूपये, सरसों तेल 2060 रूपये, सोयाबीन 1700 रूपये फल्ली तेल 2775 रूपये प्रति टन के हिसाब से बिक रहा है. यदि खाद्य तेलों के दाम की बात की जाए तो 200 रूपये लीटर से घटकर 170-175 रूपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है, जबकि चिल्हर में खाद्य तेलों की कीमत 150 रुपए से घटकर 110 रूपये प्रति लीटर पहुंच गई है.
आने वाले दिनों में देखने को मिल सकती है ओर अधिक गिरावट
कारोबारियों का कहना है कि आने वाले समय में खाद्य तेलों की कीमतों में ओर गिरावट आ सकती है. जबकि शक्कर और दालों की कीमतों में तेजी बनी हुई है. चिल्हर में दाल की कीमत 110 से 140 रूपये प्रति किलो तक बिक रही है. वही शक्कर 41 से 42 रूपये प्रति किलो बिक रहा है. उन्होंने बताया कि खाद्य तेलों में गिरावट आने का मुख्य कारण वैश्विक स्तर पर खाद्य तेलों के दामो में गिरावट आना है जबकि दूसरा मुख्य कारण कच्चे सोयाबीन और सनफ्लावर तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी में छूट मिलना है साथ ही इन पर एग्री इंफ्रा सेंस भी नहीं लगेगा.