Success Story: 5 किमी पैदल स्कूल जाता था किसान का बेटा, कर्ज के पैसे से पढ़ाई कर बना IAS
उत्तर प्रदेश, Success Story :- भारत में UPSC की परीक्षा को सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है. हर साल बड़ी संख्या में उम्मीदवार इस परीक्षा के लिए तैयारी करते हैं लेकिन उनमें से कुछ लोगों के सपने ही सच हो पाते है. जो उम्मीदवार इस मुकाम तक पहुंचते हैं उन्हें रास्ते में कड़ा संघर्ष और मेहनत करनी पड़ती है, जिसके बलबूते एक दिन वह अपना सपना पूरा करते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही आईएएस ऑफीसर की कहानी बताएंगे जिनकी कहानी से तैयारी करने वाले लाखों युवाओं को प्रेरणा मिलेगी.
तमिलनाडु में सहायक कलेक्टर के पद पर तैनात
आज हम जिसकी बात कर रहे है वह है आईएएस वीर प्रताप राघव. IAS वीर प्रताप राघव तमिलनाडु में सहायक कलेक्टर के पद पर Duty कर रहे है. वीर प्रताप मूल रूप से उत्तर प्रदेश के दलपतपुर गांव के रहने वाले हैं. करौरा में आर्य समाज स्कूल में वीर प्रताप ने प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक बनकर बच्चों को पढ़ाया, जबकि शिकारपुर में सूरजभान सरस्वती विद्या मंदिर में छठी कक्षा से माध्यमिक विद्यालय तक शिक्षण किया. वीर को अपने घर से प्राइमरी स्कूल की पढ़ाई के लिए पांच किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था.
2015 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग से की बीटेक
पढ़ने के लिए उन्हें प्रतिदिन 10 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी. उस वक़्त गांव में पुल नहीं था तो नदी के बीच से होकर जाना पड़ता था. वीर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के Student रहे हैं. वीर ने साल 2015 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में B. Tech की डिग्री हासिल की. वीर के पिता किसान थे. ऐसे में वीर प्रताप सिंह राठौर ने बचपन से ही गरीबी का अनुभव किया था, मगर उनकी सीखने की ललक उन्हें हर दिन IAS बनने के लिए प्रेरणा देती थी.
UPSC परीक्षा में पाया 92 वाँ स्थान
Veer Pratap के बड़े भाई भी चाहते थे कि वे आईएएस बने मगर घर में अनुकूल परिस्थितियां न होने की वजह से उन्होंने CRPF में जाने का निर्णय लिया. वीर के पिता ने उनकी UPSC की पढ़ाई के लिए लगने वाले खर्च कों देने के लिए ब्याज पर पैसा उधार लिया और अपने बेटे को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया. वीर ने भी आईएएस बनकर अपने पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है. वीर प्रताप ने अपने तीसरे प्रयास में UPSC की परीक्षा को पास किया और इस परीक्षा में उन्होंने 92 स्थान प्राप्त किया.