Hansi Fort: हरियाणा के हांसी मे आज भी शान से खड़ा है पृथ्वीराज चौहान का सदियों पुराना किला, आप भी जरूर करे विजिट
हांसी :- Hisar का हांसी क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से समृद्ध नगरों में शामिल रहा है. आज भी यहां पर राजपूतों और मुगलों की ऐतिहासिक निशानियां देखी जा सकती है. सभी ऐतिहासिक इमारतों में से यहां का सदियों पुराना पृथ्वीराज चौहान का विशाल किला और शहर के बीचोबीच स्थित बुलंद दरवाजा ऐतिहासिक धरोहर में शामिल है. हांसी का बुलंद दरवाजा बड़सी गेट (Badsi Gate) के नाम से भी प्रसिद्ध है. दोनों ही ऐतिहासिक धरोहर अपने आप में अहम इतिहास संजोए हुए हैं.
राजपूतों से लेकर अंग्रेजों तक ने किया है किले पर राज
फिलहाल पृथ्वीराज चौहान (Prithvi Raj Chouhan) का यह किला पुरातत्व विभाग के सरंक्षण में है. शहर के बिल्कुल Middle में स्थित लगभग 30 एकड़ में फैले इस विशाल किले पर राजपूतों से लेकर मुगल और फिर अंग्रेजों तक ने शासन चलाया है. इस किले का निर्माण किस दिन हुआ था इसे लेकर इतिहासकारों में भी मतभेद है. कहा जाता है कि इस ऐतिहासिक किले कों 1191 में सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने तराइन के पहले युद्ध में जीतने के बाद बनाया था. यहां सैनिक छावनी तैयार की गई थी.
हांसी को कहा जाता था हिंदुस्तान की दहलीज
यह किला कितना अहम था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसे जीतने के लिए ख्वाजा हाशिम उद्दीन, ख्वाजा असमान और रहमान से लेकर कई मुगल शासकों ने इस पर आक्रमण किया. एक समय पर इसे हिंदुस्तान की दहलीज के नाम से जाना जाता था. उस वक्त कहावत थी कि जो आक्रमणकारी हांसी की दहलीज लांघ लेगा वह हिंदुस्तान का शासक होगा. इतिहास की धरोहर ‘हांसी’ किताब के मुताबिक 1858 के क्रांतिकारी दौर में किले के चारों ओर बनी चूने की शक्तिशाली दीवारों को बारूद से उड़ा दिया गया था. आज भी सड़कों और गलियों में किले के मलबे से निकले पत्थरों के टुकड़े दिखते है.
खुदाई के दौरान मिले है कई अवशेष
भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की तरफ से हांसी की History का पता लगाने के लिए 2004 में खुदाई शुरू की गई. इस खुदाई से यह साफ हो गया कि हांसी का इतिहास अपने अंदर कितनी चीजें समेटे हुए हैं. खुदाई के दौरान यहाँ बुद्ध, कुषाण, गुप्त, वेदतर, यौद्धेय, राजपूत, सल्तनत, मुगल और अंग्रेजी काल से जुड़े कई अवशेष मिले. इन अवशेषों में ईंट, सिक्के, सिक्के बनाने के सांचे, धार्मिक स्थलों के अवशेष, मूर्तियां, पुराने मिट्टी के बर्तन, मकानों के अवशेष शामिल थे. कुक्कू शोरगर नाम के एक शख्स को 1982 में जैन धर्म से संबंधित मूर्तियां मिली जिन्हे शहर के जैन मंदिर में रखवाया गया. ऐसे में आपको भी हांसी के किले की यात्रा पर जरूर जाना चाहिए.