हर मर्द को ‘श्री राम’ से सीखनी चाहिए ये जरूरी बातें, बुरे समय पत्नी भी सीता की तरह निभाएगी साथ
धर्म :- भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है. इसका अर्थ है कि वह व्यक्ति जिसने कभी अपनी मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं किया. भगवान श्री राम का यह एक ऐसा विशेष गुण है, जिसने उन्हें हर रिश्ते में महान बना दिया है. भगवान श्रीराम ना केवल एक आदर्श राजा, बल्कि वह एक आदर्श बेटे, भाई और पति भी साबित हुए थे. वही एक आदर्श पति को लेकर भगवान श्री राम के बारे में लोगों के बीच काफी मतभेद है. कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने वनवास से लौटने के बाद माता सीता का त्याग कर दिया था. इसके बावजूद भी माता सीता और श्री राम जी के बीच का प्रेम कभी भी खत्म नहीं हुआ.
आज के समय में मुमकिन नहीं
आज के समय में भगवान श्रीराम के गुणों को पूरी तरह से अपना पाना बेहद मुश्किल है, अर्थात् यह मुमकिन नहीं है. यदि आप भी चाहते हैं कि आपकी पत्नी माता सीता जैसी हो, जो आपके कठोर फैसलों को भी समझे और मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में आपका साथ दे, तो इसके लिए आपको भगवान श्री राम के वैवाहिक जीवन से जुड़ी कुछ बातों के बारे में अवश्य जानकारी होनी चाहिए. इन बातों से ना केवल आप एक आदर्श पति साबित होंगे, बल्कि आप अपनी शादी-शुदा जिंदगी को भी काफी लंबे समय तक खुशहाल बनाए रखेंगे.
हर व्यक्ति को अपनाने चाहिए भगवान श्री राम के यह गुण
- मौजूदा समय में शादी करने के लिए आपको अपनी सैलरी स्लिप और प्रॉपर्टी दिखाना पड़ा हो, परंतु पत्नी के प्रेम को जीतने के लिए आपको अतिरिक्त मेहनत करने की आवश्यकता है. भगवान विष्णु का अवतार माने जाने वाले भगवान श्री राम ने भगवान शिव का सबसे भारी धनुष तोड़ कर माता सीता से विवाह किया था.
- एक आदर्श पति का धर्म होता है कि वह अपनी पत्नी की सभी बातों को अच्छे से समझे और उसे मानने की भी पूरी कोशिश करें. जब -जब माता सीता की तरफ से भगवान श्रीराम से किसी चीज के लिए आग्रह किया गया था, तो उन्होंने हर हाल में उसे पूरा किया था. फिर वह चाहे साथ में बनवास जाना हो, चाहे जंगल में हिरण को पाने की इच्छा रखना हो.
- रावण के अपहरण करके ले जाने के बाद भगवान श्रीराम ने कभी भी माता सीता के चरित्र पर एक भी उंगली नहीं उठाई. उन्हें विश्वास था कि सीता ऐसा कोई भी काम नहीं कर सकती. जिससे उनके कुल पर किसी प्रकार का कोई भी लांछन लगे. जब प्रजा ने माता सीता पर सवाल किए, तो उन्होंने खुद ही भगवान श्रीराम से उन्हें त्यागने के लिए कहा. इससे यह समझना तो आसान है कि जब वह अपनी पत्नी की परवाह करते हैं और उनकी छोटी-छोटी खुशियों के बारे में सोचते हैं, तो आपके लिए वह किसी प्रकार का त्याग करने कुछ भी नहीं सोचती.