OMG! क्या सच में गैंडे की खाल पर नहीं होता गोलियों का भी असर, बुलेट प्रूफ जैकेट भी बनती हैं इसी से?
नई दिल्ली :- कई बार आपने अपने आस पास किसी जिद्दी इंसान के लिए यह कहते जरूर सुना होगा कि इसकी ‘चमड़ी तो गैंडे जैसी हो गई है’. जैसा कि आप सभी जानते हैं उन ढीठ किस्म के प्राणियों के लिए ऐसा कहा जाता है, जिनके ऊपर किसी भी चीज का या किसी की बात का कोई फर्क नहीं पड़ता. ये प्राणी किसी की भी नहीं सुनते. प्राणी हो या मनुष्य इस प्रकार के लोग सिर्फ अपनी मनमर्जी करते हैं और दूसरों की बातों का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
क्या गैंडे की खाल से बनते हैं बुलेटप्रूफ जैकेट
इन लोगों के लिए गैंडे की चमड़ी की बात का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क़्यूँकि गैंडे की त्वचा इतनी सख्त होती है कि उसी पर यह कहावत बनी है. ऐसे में बहुत से लोगों को तो यह भी लगता है कि बुलेटप्रूफ जैकेट्स गैंडे (Rhinoceros) की खाल से बनकर तैयार होती है. इस बात में कितनी सच्चाई है इसका पता लगाने के लिए आज हम आपके लिए यह खबर लाए हैं. जंगली जानवरों में हाथी के बाद सबसे शक्तिशाली जानवर गैंडा ही है. कहा जाता हैं कि जब Rhinoceros क्रोधित होता है तो यह अपने सामने आने वाली हर चीज को तहस- नहस कर डालता है.
गैंडे की चमड़ी होती है 2 इंच मोटी
अगर इसके वजन की बात करें तो इसका वजन औसतन एक हजार किलो से अधिक ही होता है और एक तंदुरुस्त गैंडा तो 3500 किलो तक भी हो सकता है. गैंडे की स्किन काफ़ी मजबूत होने के साथ ही ये कई लेयर में भी होती है. लगभग 2 इंच मोटी चमड़ी होने की वजह से छोटी बुलेट इसे भेद नहीं सकती है. गैंडे पर 2.34, 2.7और 3 एमएम की बुलेट का कोई असर नहीं होता. ऐसे में शिकारी AK-47 राइफल Use करते हैं. इसके जरिये 700 मीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से निकलने वाली गोली से इनका शिकार किया जाता है.
गैंडे की खाल पर हर चीज होती है बेअसर
गैंडा तकरीबन 10 से 11 फीट लम्बा और 6 फीट तक ऊँचा होता है. हाँ गेंडे की त्वचा मोटी होने की वजह से छोटी बुलेट का कई बार गैंडों पर कोई असर नहीं होता. यदि इस बारे में बात करें कि गैंडे की Skin बुलेटप्रूफ होती है तो इसमें बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है. न ही इसकी खाल से बुलेटप्रूफ जैकेट बनाई जाती है. वास्तव में गैंडे की खाल हर चीज से बेअसर होती है. इसी वजह से लोगों के बीच यह मिथक है कि बुलेटप्रूफ जैकेट (Bullet Proof Jacket) इसकी खाल से बने होते हैं.