हरियाणा के लाल ने रचा दिया इतिहास, साइकिल से फतेह किया विश्व का सबसे ऊंचा उमलिंग ला दर्रा
कलायत :- हरियाणा के युवा अपनी मेहनत और लगन से प्रदेश का नाम आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं. इंसान में अगर बुलंद हौसला हो तो वह कुछ भी कर सकता है, ऐसे में वह रास्ते में आने वाली सभी रुकावटो को दूर करते हुए अपनी मंजिल तक पहुंच ही जाता है. कलायत के गांव चंदाना के दिव्यांक ने ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है, जिसकी चर्चा पूरे हरियाणा में ही नहीं बल्कि देश में भी हो रही है. दिव्याक राणा ने साइकिल के द्वारा सबसे ऊंचे मोटरेबल दर्रे उमलिंग ला को फतेह किया है. 19 मार्च को दिव्यांक ने फरीदाबाद से यह साइकिल यात्रा शुरू की थी.
हरियाणा के पहले साइकिल चालक के रूप में प्राप्त की ख्याति
चंदाना निवासी दिव्यांक राणा ने उमलिंग ला दर्रा पर चढ़ने वाले हरियाणा के पहले साइकिल चालक के रूप में अपना स्थान बनाया है. उमलिंग ला दुनिया की सबसे ऊंची सड़क मानी जाती है. दिव्यांक ने 19,300 फीट के दर्रे को साइकिल के द्वारा नापकर नया इतिहास रचा है. समुद्र तल से इस दर्रे की ऊंचाई 19,024 फीट अर्थात 5883 मीटर है. यह दुनिया की सबसे ऊंची सड़क मानी जाती है गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी यह दर्ज है.
फोटिला दर्रे पर फहराई पताका
दिव्यांक राणा ने जानकारी देते हुए बताया कि लद्दाख रीजन के हानले से वह 13 घंटे 45 मिनट में 82.5 किलोमीटर की कठिन दूरी को तय करने के बाद उमलिंग ला दर्रा पर पहुंचा था. दिव्यांक ने 2700 मीटर की कठिन ऊंचाई पर चढ़ाई करते समय 18,124 फीट की ऊंचाई पर स्थित फोटिला दर्रे पर भी विजय पताका फहराई. पूरी दुनिया में सबसे ऊंचे मोटरेबल रोड का दर्जा पूर्व में खारदुंगला पर बनी सड़क को मिला हुआ था, जोकि अब उससे यह दर्जा छिन गया है. दिव्यांक ने बताया कि यह साइकिल यात्रा अभी यहीं खत्म नहीं हुई है बल्कि अब एक नए क्षितिज पर उसकी नजरें टिकी हुई हैं.
20 दिन बाद हो सकती है घर वापसी
दिव्यांक ने बताया कि यात्रा के दौरान उसे कई ऐसे रास्तों से गुजरना पड़ा जो या तो बेहद खतरनाक थे, या बेहद ही खूबसूरत थे. दिव्यांक राणा के पिता बलबीर कालीरमन ने जानकारी देते हुए बताया कि उसके बेटे में हमेशा से ही कुछ नया करने का जज्बा रहा है. उसने परिवार से 6 महीनों तक अपने विजन पर काम करने की अनुमति मांगी थी. करीब 20 दिनों बाद उसकी घर वापसी हो सकती है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि उमलिंग ला दर्रे पर टेंपरेचर अधिकतर समय शून्य से भी नीचे रहता है, जबकि सर्दियों के मौसम में तो टेंपरेचर -40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. इसके अलावा वहां पर ऑक्सीजन का स्तर भी अमूमन 5 फ़ीसदी तक कम हो जाता है.