Motivation: मिलिए हरियाणा के मांझी से, 87 साल की उम्र में पहाड़ की चोटी पर बना डाले पानी के तीन कुंड
हरियाणा के बाढ़ड़ा उपमंडल के एक गांव कादमा के बुजुर्ग दंपति ने एक बेहतरीन मिसाल पेश की है. बुजुर्ग दंपत्ति की यह मिसाल युवाओं को भी प्रेरित करती हैं. बुजुर्ग दंपति ने 3 साल के मेहनत से एक ऊंची पहाड़ी पर 3 कुंड बनाए हैं. इन कुंडों में बारिश का पानी जमा हो जाता है जिसकी सहायता से पहाड़ी पर रहने वाले जीव जंतु अपनी प्यास बुझाते हैं. फिलहाल बुजुर्ग दंपति इन तीनों कुंडो की देखरेख कर रहे हैं. उनका कहना है कि यदि आगे भी उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है तो वह यहां तक पहुंचने के रास्ते को भी पक्का करवाएंगे.
बाढ़ड़ा :- अक्सर कहा जाता है कि अगर मन में कुछ भी करने की ललक है तो कितनी भी Problems रास्ते में आए सबका सामना आसानी से हो जाता है. कुछ कर गुजरने की चाह में आपकी उम्र भी रोड़ा नहीं बनती. हरियाणा के बाढ़ड़ा उपमंडल के एक बुज़ुर्ग दंपती ने इस कहावत को सच किया है. कादमा निवासी 87 वर्षीय भगवान सिंह ने अपनी 82 वर्षीय पत्नी फूला देवी के साथ मिलकर जल संरक्षण का एक ऐसा बेहतरीन उदाहरण दिया है, जिसके माध्यम से बुजुर्ग दंपती ने साबित कर दिया है कि भले ही वे बूढ़े हो गए हैं, मगर उनके अंदर अभी भी जोश है.
बुजुर्ग दंपत्ति को कहा हरियाणा का मांझी
बुज़ुर्ग जोड़ा लगभग तीन साल से मेहनत कर रहा था और इसी के बल पर उन्होंने गांव की लगभग दो हजार मीटर ऊंची पहाड़ी पर तीन पक्के कुंड बनाकर नया कीर्तिमान बनाया है. लोगों ने इस बुजुर्ग दंपती को Haryana का मांझी कहकर पुकारा है. कादमा गांव को 200 साल पहले ठाकुर कदम सिंह द्वारा बसाया गया था. भगवान सिंह और उनकी पत्नी फूला देवी इसी गांव में रहते है. जब बच्चे खेत में काम करने लगे तो भगवान सिंह का ध्यान साहीवाली पहाड़ी की तरफ गया. पहले कभी वे वहाँ पशुओं को चराने के लिए जाते थे. वहां घास फूस और चारे की कमी तो नहीं है, लेकिन जीव जंतुओं लिए पानी की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी.
दंपति कर रहा है कुंड की देख रेख
ऐसे में भगवान सिंह ने सोचा कि वहां पर पानी का कुंड बनाया जाए. इसी के चलते भगवान सिंह और उनकी पत्नी फूला देवी ने पहाड़ी की चोटी पर कुंड का काम शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि सर्दियों में ज्यादा काम नहीं हो पाया और इसके बाद गांव के युवाओं ने साथ दिया और इस काम को पूरा किया गया. दंपती फिलहाल इस कुंड की देखरेख कर रहा है. कादमा निवासी जिला पार्षद प्रतिनिधि अशोक कुमार ने कहा कि युवा Club ने भी बुजुर्ग दंपत्ति का साथ दिया.
कुंडों में जमा हो जाता है बारिश का पानी
इन कुंडों में बारिश का पानी हो जमा जाता है, जो आसपास रहने वाले गीदड़, हिरण, गाय, भेड़-बकरी, लोमड़ी, नीलगाय आदि की प्यास बुझाता है. बुजुर्ग जोड़ा सुबह से शाम तक इसी धूणे पर सेवा करते है उन्होंने अपनी एक छोटी सी झोपड़ी भी बना ली है. दंपति का कहना है कि अगर उनकी Health ठीक रही तो कुंड तक पहुंचने के रास्ते को भी पक्का करवाएंगे.