नई दिल्ली :- देश में मुद्रास्फीति बढ़ने के कारण तेल तिलहन उद्योगों पर आयात शुल्क को शुरू कर दिया गया है. देश के तेल तिलहन उद्योग की हालत काफी खराब हो चुके हैं. देश में आयात बढ़ने के कारण देश के तेल तिलहन उद्योगों के उत्पादक पर बहुत असर हो रहा है. बृहस्पतिवार को दिल्ली में तेल तिलहन के कारोबार का मिलाजुला रुख देखने को मिला है. एक तरफ जहां पर सरसों तेल, मूंगफली तेल, तिलहन, कच्चे पाम तेल और पामोलिन तेल की कीमतों में मजबूती बनी रही, वही अधिक आयात होने के कारण सोयाबीन निगम के भाव हानि को दर्शाते हुए बंद हुए. सरसों तिलहन, सोयाबीन तिलहन, सोयाबीन दिल्ली एवं सोयाबीन इंदौर तेल और बिनोला तेल के भाव पहले वाले स्तर पर ही बंद हुए हैं.
सूत्रों के मुताबिक सरसों के तेल की बिक्री में हुई भारी गिरावट
जानकार सूत्रों के मुताबिक पता लगा है कि मलेशिया एक्सचेंज में 3 पॉइंट 2 प्रतिशत की मजबूती रही. जबकि शिकागो एक्सचेंज में कल रात को 1.25% तक कम हो गया था और फिलहाल यह बराबर चल रहा है. सूत्रों के अनुसार पता लगा है कि पिछले साल अप्रैल महीने में सूरजमुखी तेल का थोक भाव लगभग ₹200 प्रति लीटर था. वही सरसों तेल का भाव लगभग ₹145 प्रति लीटर था. लेकिन आज की तारीख में सूरजमुखी तेल का थोक भाव फिलहाल घटकर ₹93 प्रति लीटर रह गया है जबकि आयातित सोयाबीन के भाव भी घटकर ₹96 रह गया है. इन तीनों के तेलों के मुकाबले लगभग 20 – 22 लीटर महंगा बैठने वाला ₹115 लीटर के भाव में सरसों का तेल बिक रहा है. जिसकी वजह से इसकी खपत में पहले से कमी देखने को मिल रही है. आयातित सूरजमुखी और सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क नहीं बढ़ाया गया तो सरसों के तेल की खपत लगभग ना के बराबर हो जाएगी.
तेल के मामले में देश की आत्मनिर्भरता के लिए ठीक नहीं होगा
सूत्रों के हिसाब से पता लगा है कि तेल तिलहन उद्योगों की हालत बहुत ही खराब है. मुद्रास्फीति के बढ़ने के खतरे को काबू करने के लिए तेल तिलहन पर Import Tax लगाना शुरू कर दिया गया है. किसानों को अगर एक बार झटका लगा तो वे दोबारा भरोसा नहीं करेंगे और किसान किसी और फसल की ओर रुख कर सकते हैं. जो तेल तिलहन मामले में हमारे देश की आत्मनिर्भरता के लिए ठीक नहीं होगा.
सोयाबीन निगम तेल में आई गिरावट
तेल कारोबार के विशेषज्ञ ने देश में तिलहन उत्पादन में वृद्धि होने के कारण खुशी को जाहिर किया है. परंतु उन्हें यह भी देखना चाहिए कि इतना उत्पादन होने के बाद भी देश में आयात को इतना क्यों बढ़ावा मिल रहा है. आयातित तेल में तो हम खाद्य तेलों की जरूरत को पूरा कर लेंगे परंतु मुर्गा दाने और पशु चारे में उपयोग आने वाले खल और डीलआयल्ड केक हमें कहां से मिलेगा. भारत देश में जिस तिलहन की खेती होती है उसकी सहायता से दो महत्वपूर्ण वस्तुओं को प्राप्त मात्रा में उपलब्ध किया जा सकता है. इसलिए हमें हमारे देश में तेल तिलहन के उत्पादकों को बढ़ाना चाहिए सूत्रों के अनुसार सूरजमुखी और सोयाबीन तेल का अत्यधिक मात्रा में आयात हो चुका है, पर जितना आयात हुआ है उससे कहीं कम इसकी मांग है. इसी कारण से भारत में सोयाबीन डीगम तेल के दामों में गिरावट आई है.
बृहस्पतिवार को तेल तिलहन के भाव इस प्रकार रहे
- सरसों तिलहन – 5,850-5,900 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल.
- मूंगफली – 6,675-6,5735 रुपये प्रति क्विंटल.
- मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,100 रुपये प्रति क्विंटल.
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,490-2,755 रुपये प्रति टिन. - सरसों तेल दादरी- 12,200 रुपये प्रति क्विंटल.
- सरसों पक्की घानी- 1,960-1,990 रुपये प्रति टिन.
- सरसों कच्ची घानी- 1,920-2,045 रुपये प्रति टिन.
- तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,320 रुपये प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,050 रुपये प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,600 रुपये प्रति क्विंटल.
- सीपीओ एक्स-कांडला- 8,750 रुपये प्रति क्विंटल.
- बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,750 रुपये प्रति क्विंटल.
- पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल.
- पामोलिन एक्स- कांडला- 9,450 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन दाना – 5,450-5,580 रुपये प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन लूज- 5,190-5,210 रुपये प्रति क्विंटल.
- मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल.