Chadrayaan 3 Launching: अब चांद पर पहुंचेंगे हमारे अरमान, हरियाणा के नट-बोल्ट से बना है चंद्रयान-3
भारत समय- समय पर नई नई खोज और अनुसंधान कार्य करता रहता है. फिलहाल ISRO द्वारा अब तक चंद्रमा पर 2 लांचर भेजे जा चुके हैं. चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन के बाद अब चंद्रयान 3 लॉन्च किया जा रहा है. ISRO द्वारा तैयार किया गया लांचर हल्का से मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है. इसमें भारी व बड़े नट बोल्ट की बजाए हल्के और मजबूत फास्टनर्स का प्रयोग किया गया है. चंद्रयान 3 मिशन में हरियाणा के रोहतक का विशेष योगदान रहने वाला है. रोहतक में तैयार किए जाने वाले फास्टनर्स का प्रयोग इस लांचर में किया गया है. बेहतर गुणवत्ता वाले फास्टनर्स को तैयार करने के लिए कच्चे माल के साथ स्टेनलेस Steel और Jink सहित कई धातुओ का प्रयोग किया गया है. सेना के लिए तैयार मिसाइल सिस्टम, सबमरीन, राडार, एयरक्राफ्ट हेलीकॉप्टर के लिए भी फास्टनर्स तैयार कर सप्लाई कर रहे है. रोहतक में तैयार किए जा रहे नट बोल्ट जितने मजबूत हैं उतने ही नाजुक भी है. यह निश्चित भार पड़ने पर स्वतः ही टूट जाएंगे. ये नट बोल्ट ही रॉकेट को अंतरिक्ष तक ले जानें का कार्य करेंगे.
रोहतक, Chadrayaan 3 Launching :- 20 अगस्त 2019 ISRO नें चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा में पहुंचाया था, 7 सितंबर को विक्रम लैंडर की चांद पर फाइनल लैंडिंग होनी थी, लेकिन चंद्रमा से कुछ दूरी पर ही चन्द्रयान-2 का संपर्क ISRO से टूट गया था. इसके बावजूद भी ISRO ने हार नहीं मानी और अब 14 जुलाई को चंद्रयान 3 लांच करेगा. चन्द्रयान-3 का सफल परीक्षण रोहतक को भी चार चांद लगाने वाला साबित होगा. हमारी सूक्ष्म व अहम नट बोल्ट 14 जुलाई को चांद पर रखे जाने वाले अगले कदम को सुगम बनाएंगे. ISRO को रोहतक से 60 लाख फास्टनर्स (विभिन्न प्रकार के नट बोल्ट) भेजे गए हैं.
चंद्रयान 3 में रोहतक का रहेगा अहम योगदान
इस लॉन्चिंग में रोहतक का अहम योगदान रहेगा, क्योंकि रोहतक में धातु के मिश्रण से तैयार किए गए नट बोल्ट इस लॉन्चिंग में अहम योगदान निभाएंगे. ये नट बोल्ट जितने मजबूत हैं उतने ही नाजुक भी हैं. यह भारी- भरकम रॉकेट को अंतरिक्ष पहुंचाने में सहायता करेगा. नट बोल्ट की सबसे खास बात यह है कि ये एक निश्चित वायुदाब पर इनके टूटकर अलग होने का गुण रखते है.
डीआरडीओ ने किए कई बदलाव
DRDO ने तकनीक को महत्व देते हुए कुछ बदलाव किए हैं भारत कच्चे माल के लिए अब केवल रूस पर ही निर्भर नहीं रहेगा बल्कि यूनाइटेड State, इजरायल, फ्रेंच की तकनीक का भी प्रयोग करेगा. सेना के लिए मिसाइल सिस्टम, राडार, सबमरीन के लिए भी फास्टनर्स तैयार कर सप्लाई किए जा रहे है. बेहतर गुणवत्ता के साथ इनको तैयार करने के लिए कच्चे माल के साथ अन्य तत्व स्टेनलेस स्टील और जिंक समेत कई धातुओ का प्रयोग किया गया है.
लांचर में यूज किए गए हजारों फास्टनर्स
एरो फास्टनर्स रोहतक के प्रबंध निदेशक जसमेर लाठर ने जानकारी देते हुए कहा कि ISRO ने चंद्रयान 3 को चंद्रमा तक ले जाने के लिए विशेष लांचर तैयार किया है. जोकि वजन में काफी हल्का होगा परंतु मजबूती काफी अधिक होगी, क्योंकि इसमें भारी व बड़े नट की बजाय 1mm वाले हजारों फास्टनर्स का प्रयोग किया गया है. इन्हीं फास्टनर्स से पूरा का पूरा System तैयार किया गया है.