Mona Randhawa: गोद में थी में डेढ़ साल की बेटी तो पति हुए शहीद, फिर भारत माता की रक्षा के लिए खुद ने सेना में संभाला मोर्चा
नई दिल्ली, Mona Randhawa :- आज महिलाएं पुरुषों के बराबर प्रत्येक क्षेत्र में प्रसिद्धि हासिल कर रही हैं. महिलाएं अपनी मेहनत और लगन के जरिए ऊंचे मुकाम पर पहुंच है. Tuesday को मोटरसाइकिल रैली के दौरान महिला सेना नई दिल्ली से चलकर अंबाला पहुंची. इनमें से एक दो महिलाएं ऐसे भी थी जो ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रही थी. जिसमें से एक पंजाब के तरनतारन की रहने वाली मोना रंधावा थी जो सेना में कर्नल के पद से सेवानिवृत्त हो चुकी है. उन्होंने जब अपने जीवन की आपबीती सुनाई तो हर कोई हैरान रह गया.
वर्ष 1994 में हुई शादी
पंजाब के तरनतारन की रहने वाली मोना रंधावा एक सामान्य जीवन व्यतीत रही थी. मोना ने बताया कि उसने कभी भी सेना में जाने के बारे में नहीं सोचा था. मोना की स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरी होते ही वर्ष 1994 में मेजर सुखविंदर सिंह रंधावा के साथ शादी हो गई थी. वर्ष 1995 में उनकी बेटी सिमरन पैदा हुई. इसी दौरान उनके पति की पोस्टिंग भी RR में हो गई थी. वर्ष 1997 में आतंकवादी मोर्चा संभालते हुए उनके पति शहीद हो गए थे.
दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने की थी प्रबल इच्छा
इसके बाद Mona Randhawa ने बताया कि कुछ समय बाद जब सब सामान्य हो गया तो उसे समझ ही नहीं आया कि वह डेढ़ साल की बेटी को लेकर कहां जाएं. तब मैंने अपने परिजनों से सेना के बारे मे बातचीत की तो उन्हें भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि महिलाएं भी सेना में जाती है या नहीं. मन में बस एक ही इच्छा थी कि दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देना है. सेना में शामिल होने के लिए उसके सामने दो समस्याएं थी एक तो उम्र और दूसरी डेढ़ साल की बेटी. तब सेना के लोगों ने उसकी मदद की और वह MSB पास कर सेना में Entry पाने में वह सफल रही. अब मोना रंधावा रिटायर हो चुकी है और उनकी बेटी सिमरन रंधावा ने एक किताब लिखी है जिसमें शहीद के पीछे उसके परिवार के संघर्ष के बारे में लिखा है.
अन्य नागरिक भी होंगे मोटिवेट
वही दूसरी और 61 वर्षीय महिला राइडर सीमा वर्मा बताती है कि उनके पति अंडमान निकोबार मे नेवी कमांड मे कमांडर इन चीफ के पद पर तैनात थे. वह खुद भी पायलट की ट्रेनिंग देती थी. अब वह सेवानिवृत्त हो चुकी है. उन्होंने कहा कि यह मोटरसाइकिल रैली दूसरी लड़कियों को Motivate करने का बेहतर जरिया है. जैसे ही लोग महिला सेना को बाइक पर देखेंगे तो उनके अंदर भी अपनी बेटियों को ऐसे ही महिला सेना के रूप में देखने की इच्छा होगी, और वे अपनी बेटियों को सेना में भेजेंगे.