Tohana Shiv Mandir: हरियाणा के इस जिले में है 400 साल पुराना चमत्कारी शिव मंदिर, माथा टेकते ही मनोकामना होती है पूरी
टोहाना, Tohana Shiv Mandir :- हिंदू धर्म में देवी देवताओं को विशेष महत्व दिया जाता है. हरियाणा में सभी धर्मों के लोग रहते हैं परंतु प्रदेश में सबसे ज्यादा हिंदू धर्म के लोग रहते हैं. हरियाणा में सभी देवी देवताओं के अलग- अलग Temple स्थापित किए गए हैं. इन्हीं मंदिरों में से एक प्राचीन ऐतिहासिक विश्वविख्यात मंदिर टोहाना में स्थित है. यह मंदिर अनोखी मान्यताओं के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है. आज भी वर्षों पुराने इस मंदिर में लोग सावन के महीने में पूजा आराधना करने के लिए आते हैं.
पूजा अर्चना के लिए आते हैं दूर दूर से श्रद्धालु (Tohana Shiv Mandir)
टोहाना में स्थित श्री प्राचीन पंचमुखी शिव (Tohana Shiv Mandir) Temple जोहड़ वाला आज भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है. दूर- दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आते हैं परंतु सावन के महीने में तो प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु इस मंदिर में पंचमुखी Shivji के दर्शन करने आते हैं. यहां आंकर वें शिवलिंग पर भांग, धतूरा, बेलपत्र, Milk, दही और जल चढ़ाते हैं. यह मंदिर आज से करीब 400 वर्षों का इतिहास अपने आप में समेटे हुए हैं. इस मंदिर के पास एक विशाल पानी का जोहड़ हुआ करता था और इसी जोहड़ के पास भगवान शिव का मंदिर होता था.
देखने में काफी आकर्षक और बड़ा है यह मंदिर
समय के साथ साथ यह जोहड़ मिट्टी से भर दिया गया और इस जोहड़ पर Temple को विस्तृत कर दिया गया है. यह मंदिर आज काफी बड़ा और देखने में काफी आकर्षक लगता है. इसके अलावा बरगद और पीपल का जो वृक्ष जोहड़ के किनारे होता था वह आज भी मंदिर के प्रांगण में उपस्थित है. इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था बिल्कुल 400 वर्ष पहले जैसे ही है. मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे दिल से कोई मनोकामना करता है तो वह अवश्य पूरी होती है.
400 साल पुराना बरगद और पीपल का पेड़ आज भी स्थित
Tohana Shiv Mandir के पुजारी दिलीप कुमार शास्त्री ने बताया कि यह Temple आज से 400 वर्ष पुराना सिद्ध स्थान है. उन्होंने बताया कि 400 वर्ष पहले यहां पर एक पानी का जोहड़ होता था. इस जोहड़ के पास ऋषि मुनि कुटिया बनाकर रहते थे और भगवान की पूजा अर्चना करते थे. जैसे- जैसे मंदिर का विस्तार होता गया वैसे-वैसे जोहड़ समाप्त होता चला गया. जोहड़ के समीप बरगद और पीपल का वृक्ष होता था जो आज भी 400 साल पुरानी यादो को अपने अंदर संजोय मंदिर के प्रांगण में स्थित है.