Ahoi Ashtami: आधी रात इस कुंड में स्नान करने से मिलता है संतान प्राप्ति का वरदान, निसंतान जोड़े इस साल इस दिन करे स्नान
मथुरा, Ahoi Ashtami :- प्राचीन समय से ही मान्यता है कि कुछ तालाबों, सरोवरो और कुंडो में स्नान करने से इच्छाओ की पूर्ति अवश्य होती है. प्रत्येक कुंड के साथ अलग-अलग मान्यताएं जुड़ी हुई होती हैं. उत्तर प्रदेश के कान्हा की नगरी मथुरा के राधा कुंड में Ahoi Ashtami की पूर्व संध्या पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा लग जाता है. मान्यता है कि मध्यरात्रि के समय यदि पति पत्नी एक साथ राधा कुंड में स्नान करते हैं तो पुत्र रत्न प्राप्ति होती है. इसी इच्छा के साथ श्रद्धालुओं की भीड़ मथुरा के राधा कुंड में स्नान करने के लिए आते हैं.
17 अक्टूबर- अहोई अष्टमी का स्नान
अबकी बार 17 October को अहोई अष्टमी का यह स्नान किया जाएगा. अगर आप भी राधाकुंड तक पहुंचना चाहते हैं तो गोवर्धन होकर राधाकुंड तक पहुंचा जा सकता है. इसके लिए आपको मथुरा से उत्तर प्रदेश Roadways बस से नए बस स्टैंड से जाया जा सकता है वहां से आपको राधाकुंड के लिए Bus या ऑटो मिल जाएगा. द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने अरिष्ठासूर का वध करने के बाद जब राधारानी से मिलने के लिए उनके निज महल गए, तो राधारानी ने उनसे मिलने से मना कर दिया, उन्होंने कहा कि तुमने गोवंश की हत्या के दोषी हैं और वह 7 तीर्थ में जाकर स्नान करके आएंगे तो ही उन्हें निज महल में प्रवेश मिलेगा.
श्रीकृष्ण ने किया श्यामकुंड और कृष्णकुंड में किया स्नान
राधारानी के निज महल के पास राधाकुंड कस्बे में श्यामकुंड और कंगनकुंड का संगम है. तब श्रीकृष्ण ने अपने वंशी कटक से सभी तीर्थों का आह्वान किया. सभी तीर्थों में स्नान करने के बाद इसका नाम कृष्णकुंड और श्यामकुंड पड़ गया. जिस समय कृष्ण तीर्थों का आह्वान कर रहे थे, उस समय राधारानी यह सब देख रही थी. इसके बाद वे गोपियों से बातचीत करने लगी लेकिन इसी बीच कृष्ण स्नान करके निज महल पहुंच गए और उसे अंदर से बंद कर दिया, राधारानी जब निज महल में Entry करने लगी तो श्याम सुंदर ने भी दरवाजा नहीं खोला.
मध्यरात्रि कुंड में स्नान करने से मिलेगा ठाकुर का आशीर्वाद
तब श्रीकृष्ण ने राधा से कहा कि वह उनकी अर्धांगिनी है तो अरिष्ठासूर की हत्या का आधा पाप उसे भी लगा है. इसलिए वह भी कुंड में स्नान करके आए तभी उन्हें निज महल में प्रवेश मिलेगा. तब राधारानी में अपने कंगन से खोदकर कुंड को प्रकट किया और उसमें स्नान कर निज महल में पहुंची तो श्यामसुंदर ने दरवाजा खोल दिया. तबसे इस कुंड का नाम कंगन कुंड पड़ गया. श्रीकृष्ण नें इन कुंडो को ओर भी महत्वपूर्ण बनाने के लिए श्यामकुंड और कंगन कुंड को जोड़ दिया. तब से परंपरा चली आ रही है कि जो भी इस कुंड में 12:00 बजे स्नान करेंगे उन्हें संतान प्राप्ति में ठाकुर जी का आशीर्वाद मिलता है. जबकि पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए पेठे का दान किया जाता है.