Nuh Violence: नूह में अभी भी हिंसा का डर, अब तक अभिभावक बच्चों को नहीं भेज रहे स्कूल
नूँह :- पिछले दिनों हुई हिंसा का असर आज भी पूरे जिले में दिख रहा है. लोग जितना कम हो सके अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं. वहीं स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी School आना छोड़ गए हैं, अब तो स्कूलों में पहले की तरह बच्चों की चहल पहल भी नहीं दिखाई देती. बच्चों के बिना स्कूल सुनसान दिखाई देने लगे है. 31 July नूँह हिंसा के बाद से ही 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या घट गई है.
चौकीदार से करवाई जा रही मुनादी
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खेडला के फैकल्टी स्कूलों में बच्चों को लानें के लिए अध्यापक डोर टू डोर संपर्क कर रहे हैं. इतना ही नहीं स्कूलों में बच्चों को लाने के लिए चौकीदार से बुनादी भी कराई जा रही है. खेडला के सीनियर सेकेंडरी School में पहली से 12वीं तक करीबन 1600 बच्चे हैं. लेकिन हिंसा के बाद जब से स्कूल खुलना शुरू हुए हैं केवल गिने- चुने बच्चे ही विद्यालय में पहुंच रहे हैं.
बच्चों के स्कूल ना आने का बड़ा कारण नूँह हिंसा
इसके अलावा बहुत सारे बच्चे अपने रिश्तेदारों के घर गए हुए हैं. अधिकतर बच्चों को डर सता रहा है कि कहीं Police उन्हें गिरफ्तार न कर ले. स्कूल मैनेजमेंट का कहना है कि अभिभावकों को बच्चों के आई Card लेने की चिंता सता रही है ताकि वह साबित कर सके की उनके बच्चे स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. स्कूल मैनेजमेंट का मानना है कि बच्चों का स्कूलों में ना आने का सबसे बड़ा कारण नूँह हिंसा ही है.
अध्यापकों और सरपंचों के विचारों में दिख रहा विरोधाभास
खेडला गांव के सरपंच रफीक हथौड़ी इन बातों से इत्तेफाक नहीं रखते, उनका कहना है कि School मैनेजमेंट की लापरवाही के कारण ही स्कूल के हालात बद से बदतर हैं, इसलिए बच्चे स्कूलों में आने में ज्यादा Interest नहीं रखते. स्कूल मैनेजमेंट भी बच्चों को वापस स्कूल लाने के लिए कोई प्रयास करता नहीं दिखाई दे रहा. वही देखा जाए तो स्कूल मैनेजमेंट और सरपंच द्वारा दिए गए बयानो में बड़े स्तर पर विरोधाभास दिख रहा है.