हरियाणा के इस जिले में है विश्व का एकमात्र एकलव्य मंदिर, जहाँ गुरु द्रोण ने दान में मांगा था अंगूठा
गुरुग्राम :- हरियाणा के गुरुग्राम को गुरु द्रोणाचार्य की नगरी कहा जाता है. निषादराज एकलव्य के नाम से पूरे भारत में केवल एक ही मंदिर है जो गुरुग्राम में स्थित है. यह मंदिर गुरुग्राम के खांडसा गांव में है. बताया जाता है कि यह जगह पहले खांडवप्रस्थ के नाम से प्रसिद्ध थी. इसी जगह एकलव्य गुरु द्रोण की प्रतिमा बनाकर धनुर्विद्या का अभ्यास किया करते थे.
गुरु द्रोण ने दान में मांगा अंगूठा
जब एक दिन गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य की धनुर्विद्या को देखा तो वह हैरान रह गए. एकलव्य धनुर्विद्या में सर्वश्रेष्ठ थे, परंतु गुरु द्रोणाचार्य पांडु पुत्र अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाने का वचन दे चुके थे. इसलिए गुरु द्रोण ने एकलव्य से अपनी गुरु दक्षिणा मांगते हुए दाहिने हाथ का अंगूठा दान देने को कहा. इसी जगह पर बाद में एकलव्य के नाम से खांडसा गांव में मंदिर बनाया गया.
एकलव्य एकेडमी
एकलव्य तीर्थ समिति इस मंदिर में एकलव्य एकेडमी नाम से स्पोर्ट्स एक्टिविटीज भी कराती है. स्थानीय लोगों के अनुसार यहां करीब 200 बच्चे कुश्ती के गुर सीखने आते हैं. परंतु अब तक हरियाणा सरकार या फिर जिला प्रशासन की ओर से इस अमूल्य धरोहर के प्रति कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. स्थानीय लोगों ने एक Trust बनाकर इस मंदिर का पुनरुद्धार करने की पहल की है, परंतु आर्थिक तंगी के चलते निर्माण कार्य बहुत ही धीरे चल रहा है.
सरकार निर्माण कार्य में कर रही अनदेखी
एकलव्य तीर्थ समिति के सदस्य मुकुल चौहान ने अपने बयान में कहा कि उनकी समिति के लोग हरियाणा के गवर्नर से भी मिल चुके हैं, परंतु वहां उन्हें आश्वासन के अलावा और कोई भी मदद नहीं मिली. उन्होंने बताया कि अब तक मंदिर के निर्माण कार्य में 30 लाख रुपए की लागत आ चुकी है. स्थानीय लोग आपसी सहायता से मंदिर का निर्माण कार्य करा रहे हैं, परंतु इसकी गति बहुत ही धीमी चल रही है. एकलव्य के इस मंदिर में साल में दो बार मेला लगता है. मेले के समय भारी संख्या में भील जनजाति के लोग अपने आराध्य के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं.