Karwa Chauth Kab Hai: महिलाएं सुहाग की रक्षा के लिए करती है करवा चौथ व्रत, जानें कथा व पूजा करने की विधि
धर्म, Karwa Chauth Kab Hai :- सभी विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का उपवास रखती है. हिंदू धर्म में यह मान्यता सदियों से चली आ रही है. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को करवा चौथ व्रत किया जाता है. इस बार यह व्रत 1 November को है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखती हैं. इस व्रत को करने से सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है. इस दिन महिलाएं सुबह व्रत शुरू करती है और रात को चांद देखने के बाद अपना उपवास खोलती हैं.
यह है व्रत करने की विधि
इस व्रत को करने वाली महिलाओं को सुबह नहाने के बाद आचमन करके पति, पुत्र और सौभाग्य की इच्छा का संकल्प लेना चाहिए. इस व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश जी और चांद की पूजा की जाती है. महिलाएं चंद्रोदय के बाद चंद्रमा का दर्शन और पूजन तथा अर्घ्य देने के बाद ही जल व भोजन ग्रहण करती है.Pooja के बाद तांबे या मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सिंदूर, चूड़ी, रिबन, सुहाग की सामग्री, और दक्षिणा रख कर दान देना होता है.
नवविवाहिता रखती है उपवास
इसके बाद 14 पूड़ी या मिठाई का बायना, सुहाग की सामग्री, फल, मेवा सास को भेंटकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए. नवविवाहिता इस व्रत को करती हैं, जिसमें 14 खांड के कलशे, एक लोटा, फल, मिठाई, बायना, सुहाग का सामान, साड़ी अपनी सास को भेंट करती हैं. व्रत के बारे में महाभारत में एक कथा का वर्णन है, जिसके अनुसार महिलाएं दीवार पर गोबर से लीपकर चावल के ऐपन से लिखकर पूजन करती हैं, मगर अब बाजार में इसके Calendar आने लगे हैं.
Karwa Chauth Kab Hai
इस व्रत के पीछे एक पौराणिक Karwa Chauth Kab Hai भी है. कथा के अनुसार प्राचीन काल में शाक प्रस्थपुर में एक धर्म परायण ब्राह्मण वेद धर्मा रहते थे, जिनके सात पुत्र तथा वीरवती नाम की पुत्री थी. बड़ी होने पर वीरवती का विवाह हो गया और उसने पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा. वह चंद्रोदय के पहले ही भूख से व्याकुल हो गई तो भाईयों ने पीपल के पेड़ की आड़ से रोशनी कर दी, जिसे वीरवती ने चंद्रोदय समझ कर अर्घ्य देकर खाना खा लिया.
पूरी श्रद्धा से रखें उपवास
खाना खाते ही उसका पति मर गया तो वह रोने लगी. दैवयोग से इंद्राणी कहीं जा रही थी और उसका रोना सुना तो वहां पहुंच कर वीरवती से पूछा कि तुम क्यों रो रही हो, जब वीरवती ने सारी बात बताई तो इंद्राणी ने कहा कि तुमने चंद्रोदय के पहले ही व्रत तोड़ा है, जिसके कारण तुम्हारे पति की मृत्यु हो गई है. अब अगर तुम 12 महीनों तक हर चौथ को विधि-विधान से करोगी और करवा चौथ के दिन शिव परिवार के साथ चंद्रमा की पूजा करोगी तो तुम्हारे पति जी उठेंगे. 12 महीनो तक वीरवती ने ऐसा ही किया और उसका पति दोबारा जीवित हो गया. ऐसे में सभी स्त्रियों को पूरी श्रद्धा के अनुसार इस उपवास को करना चाहिए.