Kurukshetra News: कुरुक्षेत्र में मुसलमान पेश करते है भाईचारे की मिसाल, 40 साल से रावण जला मनाते हैं दशहरा
कुरुक्षेत्र, Kurukshetra News :- भारत में हर साल दशहरे का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. दशहरे के दिन रावण, मेघनाद तथा कुंभकरण के पुतले जलाए जाते हैं. आपको बता दे कि इन पुतलों को बनाने में बहुत सारे कारीगर दिन – रात मेहनत करते हैं. आज हम आपको एक ऐसे कारीगर के बारे में बताने जा रहे है जो हिन्दू धर्म के ना होते हुए भी भाईचारे तथा अपनी कला को जिन्दा रखने के लिए पुतले बनाने का काम करते है.
भाईचारे की मिसाल
कहा जाता है कि कला का कोई धर्म या समुदाय नहीं होता है . इस बात को शमा खान ने सच कर दिखाया है. शमा खान एक मुस्लिम समुदाय से होते हुए भी पिछले 40 साल से दशहरे पर पुतले बनाने का काम कर रहे है. शमा खान ने बताया कि वह मुस्लिम समुदाय से संबंध रखते है तथा पिछले 40 साल से कुरुक्षेत्र में रावण, मेघनाद तथा कुंभकरण के पुतले बनाने का काम करते है. यह उनकी तीसरी पीढ़ी है. इससे पहले उनके पिता तथा दादा भी यही काम करते थे. अब अपनी खानदानी कला को जिंदा रखने के लिए शमा खान भी पुतले बनते है.
शमा खान का बयान
शमा खान का कहना है कि जब पुतलो का दहन होता है तब उन्हें बहुत पीड़ा होती है, क्योंकि वह बहुत दिनों की मेहनत के बाद इन पुतलों को बनते है . परंतु वह इस बात को सोचकर सब्र कर लेते है कि यह उनका रोजगार है. शमा खान ने बताया कि पुतले बनाने में लगभग 15 दिन का समय लगता है तथा उन्हें अनेक विशेष बातों का ध्यान रखना पड़ता है. शमा खान पुतले बनाने के लिए ऐसा Paper उसे करते है, जो जल्दी आग पकड़ ले ताकि पुतला पूरी तरह से जल सके. इसके साथ ही पुतलो में लगने वाला बारूद भी Green बारूद होता है जिससे Environment को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है.