Jammu Kashmir Article 370: अब जम्मू कश्मीर में लागू होगा भारतीय सविधान, चार साल बाद SC ने लगाई मुहर
नई दिल्ली, Jammu Kashmir Article 370 :- 11 दिसंबर, सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने अनुच्छेद 370 पर सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि Jammu Kashmir Article 370 को निरस्त करने से जम्मू-कश्मीर को भारत के बाकी हिस्से से जोड़ने की प्रक्रिया तेज हो गई है। Jammu Kashmir Article 370 को हटाने की संवैधानिक अनुमति है। सुनवाई के दौरान सीजीआई ने कहा, “हमें सॉलिसीटर जनरल ने बताया कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिया जाएगा।”
लद्दाख केंद्रीय सरकार के अधीन
लद्दाख केंद्रीय सरकार के अधीन रहेगा। हम जम्मू-कश्मीर में नए परिसीमन के आधार पर 30 सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव करवाने का आदेश देते हैं। राज्य का दर्जा भी जल्द से जल्द बहाल किया जाए। बता दें कि 16 दिनों की बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 5 सितंबर को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। भारत की संविधान पीठ के पांच न्यायाधीशों (मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत) ने यह निर्णय लिया है।
कानून ने क्या कहा
CJI ने विचार किए गए मुख्य प्रश्नों पर कहा कि उस दौरान राज्य में चल रहे राष्ट्रपति शासन पर निर्णय नहीं लिया है। राष्ट्रपति शासन स्थिति के अनुसार लगाया जा सकता है। अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति को अधिकार देता है। उसे रोका नहीं जा सकता यह संवैधानिक है कि उनका सही उपयोग होना चाहिए। केंद्र राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य सरकार की जगह निर्णय ले सकता है। राज्य विधानसभा की जगह संसद काम कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि राजा हरिसिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर साइन किया, तो जम्म-कश्मीर की स्वतंत्रता समाप्त हो गई। भारत के अधीन हो गया। जम्मू-कश्मीर स्पष्ट रूप से भारत का अभिन्न अंग है। जम्मू-कश्मीर का संविधान भारत के संविधान से कम है।
“आर्टिकल 370 को हटा देना संवैधानिक रूप से वैध है”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370 पर कोई आदेश देना आवश्यक नहीं था। 370 को खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर को बाकी भारत के साथ जोड़ने का प्रयास तेज हो गया है। आर्टिकल 370 को हटाने की संवैधानिक अनुमति है।
कोर्ट में किसकी दलील
कोर्ट में, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमाणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरी और अन्य ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के निर्णय की पैरवी की। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह, दुष्यंत दवे और अन्य ने अपनी दलीलें पेश कीं।
GSDP भी दोगुना हुआ
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद चार साल में सकल राज्य घरेलू उत्पादन (जीएसडीपी) डबल हुआ और कई अविश्वसनीय आर्थिक परिवर्तन हुए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जीएसडीपी दोगुना हो गया है और अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले 2.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक था।