अब बाल विवाह में शामिल होने पर पंडित- हलवाई आदि पर भी होगी कार्रवाई, जानिये पूरा मामला
सोनीपत :- बाल विवाह करना मौजूदा समय में एक अपराध है. लंबे प्रयासों के बाद इस पर लगभग अंकुश भी लगा दिया गया है, परंतु अभी भी कुछ ऐसी घटनाएं सामने आती रहती है. ऐसे में बाल विवाह को रोकने के लिए विवाह में सेवा सदन देने वाले टेंट, हलवाई, पंडित, कैटरर्स, प्रिंटिंग प्रेस वालों को भी जागरूक किया जाए, ताकि वह ऐसे किसी भी कार्यक्रम में शामिल ना हो. यदि वे ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी. बाल अधिकार संरक्षण राष्ट्रीय आयोग की सदस्य सचिव रूपाली बनर्जी ने बाल विवाह को लेकर Video कांफ्रेंस के माध्यम से जिला प्रशासन व महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की.
बाल विवाह को लेकर हुई जरूरी वीडियो कॉन्फ्रेंस
इस बैठक में उन्होंने निर्देश दिए कि बाल विवाह करवाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि इस सामाजिक बुराई का अंत किया जा सके. अतिरिक्त उपायुक्त अंकिता चौधरी ने बताया कि साल 2022- 23 में जिले में चार जगह से बाल विवाह की खबरें सामने आई थी, जिस पर प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए शादी को रुकवाया. उन्होंने बताया कि जिले में स्कूल से ड्रॉपआउट बच्चों का सर्वे कराया गया, जिसमें 1132 बच्चों की पहचान हुई है. इसके अलावा, जिले में 226 स्पेशल प्रशिक्षक केंद्र चलाए जा रहे हैं. इस मौके पर महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला परियोजना अधिकारी गीता गहलावत, बाल कल्याण समिति की चेयरपर्सन अनिता शर्मा और डीसीपीओ बबीता शर्मा व ममता शर्मा भी मौजूद रही.
क्या है बाल विवाह का अर्थ
किसी लड़की या लड़के की शादी 18 साल की उम्र से पहले होना बाल विवाह कहलाता है. बाल विवाह में औपचारिक विवाह तथा अनौपचारिक संबंध भी आते हैं, जहां 18 साल से कम उम्र के बच्चे शादीशुदा जोड़े की तरह रहते हैं.बाल विवाह, बचपन खत्म कर देता है. बाल विवाह बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और संरक्षण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है.