Ram Rahim News: राम रहीम के बचाव में आई हरियाणा सरकार, कोर्ट में जवाब राम रहीम ‘कट्टर अपराधी’ नहीं
रोहतक :- रेप और हत्या के मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत Ram Rahim आए दिन किसी ना किसी वजह से सुर्खियों में बना रहता है. वर्ष 2017 से डेरा प्रमुख 2 रेप Case व हत्या मामले में 20 साल के लिए सजा काट रहा है. फिलहाल गुरमीत Ram Rahim 40 दिन की पैरोल पर Jail से बाहर आया हुआ है. राम रहीम समय- समय पर पैरोल और फरलो पर Jail से बाहर आता रहता है. जिसका लोगों के द्वारा काफी विरोध किया जा रहा है.
40 दिन के लिए पैरोल पर आया डेरा प्रमुख
डेरा प्रमुख इन दिनों 40 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आया हुआ है जिस पर SGPC ने गंभीर सवाल उठाए थे, और 21 January के कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी. याचिका के बदले जवाब देते हुए सरकार ने कहा कि डेरा प्रमुख “कट्टर अपराधी” की श्रेणी में नहीं आता हैं, और 2 हत्या मामले पर उनकी सजा को ‘सीरियल किलिंग’ नहीं कह सकते हैं. वहीं पंजाब और हरियाणा HighCourt में सरकार द्वारा दी गई दलील में कहा कि डेरा प्रमुख दोनों हत्याओं में हमलावर साबित नहीं हुआ है.
दोनों हत्याओं में हमलावर साबित नहीं हुआ डेरा प्रमुख
डेरा प्रमुख डेरा के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के कारण अलग-अलग मामलों में उम्रकैद और आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. इन हत्याओं में सह अभियुक्तों के साथ अपराधिक साजिश का दोषी ठहराया गया है इस वजह से उसे IPC की धारा 120 B की मदद से धारा 302 के तहत सजा दी गई है. वही सुनारिया Jail के अधीक्षक सुनील सांगवान ने बताया कि डेरा प्रमुख के 40 दिन की पैरोल को चुनौती देने वाली याचिका शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा दायर की गई थी. उन्होंने बताया कि HighCourt ने पहले ही 7 April को गुरमीत राम रहीम को अस्थाई फरलों देने के आदेश को भी बरकरार रखा था.
कैदियों को सुधारने का मौका देती है सरकार
सरकार ने याचिका के जवाब में कहा कि डेरा प्रमुख अब तक 3 बार स्थाई पैरोल और फरलो पर आ चुका है, इस दौरान प्रदेश में कोई भी अप्रिय घटना घटित नहीं हुई. उनकी पैरोल और फरलों अवधि शांतिपूर्वक ढंग से पूरी हुई थी. उन्होंने कहा कि डेरा प्रमुख पैरोल के साथ करीब 1000 अन्य दोषियों को भी पैरोल और फरलो दी गई थी, परंतु SGPC ने केवल गुरमीत राम रहीम की रिहाई को ही चुनौती दी. उन्होंने कहा कि कैदियों को पैरोल देने का प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि कैदियों को अपनी व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याओं को हल करने और उन्हें समाज के साथ अपने संबंध बनाए रखने में सक्षम बनाने का अवसर देता है.