Haryana News: हरियाणा में गुलाबी व BPL राशन कार्ड धारकों के लिए जरुरी अपडेट, अब हर घर में होगा ये काम
फतेहाबाद, Haryana News :- जिन भी परिवारों का गुलाबी व बीपीएल राशन कार्ड बना हुआ है उन परिवारों की अब ई-केवाईसी होगी. सरकार यह जानने की कोशिश कर रही है कि जो लोग राशन ले रहे हैं क्या वह परिवार में अभी भी शामिल हैं या नहीं. इसके लिए राशन डिपु धारकों को अपने क्षेत्र में घर-घर जाकर POS मशीन से राशन बांटने के आदेश दिए गए हैं. वहीं फतेहाबाद में अभी तक राशन डिपु धारकों ने ई-केवाईसी का काम शुरू नहीं किया है.
शादी के बाद भी नहीं हटवाए बेटियों के नाम
उनका कहना है कि इसके लिए वह अलग से मानदेय के लिए योग्य है. राज्य सरकार के आदेशानुसार खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने राशन कार्ड धारकों की संख्या जानने के लिए सत्यापन करने के काम की जिम्मेदारी राशन डिपु धारकों को दी है. राशन डिपु धारकों को आदेश दिए गए हैं कि वह इस बात की जानकारी दर्ज करे कि जो लोग राशन ले रहे हैं क्या उनके परिवार के सभी सदस्य उपस्थित है. यदि ऐसा नहीं है तो जो लोग नहीं हैं, उनके नाम का राशन कम किया जाए. जानकारी के मुताबिक अधिकांश कार्ड धारकों ने बेटियों के नाम शादी के बाद भी नहीं हटवाए हैं.
राशन कार्ड से जुड़े सभी सदस्यों की जानकारी इकट्ठा करने के लिए उठाया गया यह कदम
वहीं कुछ परिवारों में सदस्य की मौत हो चुकी है लेकिन उसका नाम अभी भी राशन कार्ड से हटा नहीं है. आपको बता दें कि जिन कार्ड धारकों ने आधार से ई-केवाईसी नहीं कराई, वह खाद्य सामग्री से भी वंचित रहेंगे.फतेहाबाद क़े जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक, विनीत जैन ने बताया कि सरकार के आदेशानुसार राशन कार्ड धारकों की ई-केवाईसी करवाई जानी है, ताकि यह ज्ञात हो सके कि जो लोग राशन ले रहे हैं, वह सच में उस घर के सदस्य हैं या नहीं. ई-केवाईसी से राशनकार्ड से जुड़े सदस्यों की सही संख्या का लेखा जोखा इकट्ठा करने में प्रदर्शित होगी.
राशन वितरण करने में ही लग जाता है काफी समय
हरियाणा क़े फेयर प्राइस शॉप फेडरेशन के प्रदेशध्यक्ष शीशपाल गोदारा का कहना है कि हमने अभी जिले में राशन कार्ड धारकों की ई-केवाईसी शुरू नहीं की है. राशन वितरण में ही इतना समय लग जाता है, क्योंकि हमारे पास पीओएस मशीन 2-जी सिम की है. जिससे राशन देने में काफी वक्त लग जाता है. सरकार का प्रेशर है कि राशन कार्ड धारकों की ई-केवाईसी की जाए, इसमें और ज्यादा समय लगेगा. या तो सरकार हमें इसके लिए अलग से मानदेय दे अथवा यह काम CSE सेंटरों को दें दें. हमारी तरफ से लंबे समय से यही मांग की जा रही है पर सरकार इसकी तरफ कोई भी ध्यान नहीं दे रही है.