Haryana Election News: हरियाणा में 65 फीसदी मतदा, 4 जून को नतीजों में हो सकता है बड़ा फेर बदल
चंडीगढ़, Haryana Election News :- हरियाणा के मतदाताओं का उत्साह भारी गर्मी और लू से कम हो गया है। कुल मिलाकर, राज्य की दस लोकसभा सीटों पर 65% मतदान हुआ। रात आठ बजे का आंकड़ा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.34 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था। इस बार मतदान (Haryana Election News) पिछली बार से लगभग 5.34% कम हुआ। वहीं, करनाल विधानसभा उपचुनाव में 57.8 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया। राजनीतिक दल मतदान की कमी से असमंजस में हैं। रात भर सभी गुणा करने में लगे रहे।
गर्मी कम मतदान का कारण
शनिवार को हरियाणा की दस लोकसभा सीटों और करनाल विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान (Haryana Election News) की प्रक्रिया पूरी हो गई, जिससे 223 उम्मीदवारों का चुनाव ईवीएम में हुआ। मतदान पूरे राज्य में शान्तिपूर्ण रूप से हुआ, सिवाय छोटे-छोटे झड़पों के। मतदान कम होने के पीछे मतदाताओं की भारी गर्मी और उदासीनता बताई जाती है। शनिवार को सभी जिलों में 41 से 46.8 डिग्री सेल्सियस तापमान हुआ। दोपहर में कड़ी धूप होने से लोग घरों से बाहर नहीं निकले।
किसान आंदोलन का सबसे अधिक असर
इस बार पिछले चार चुनावों में सबसे कम मतदान हुआ है। 2004 में 66.72 प्रतिशत मतदान हुआ था, 2009 में 67.49 प्रतिशत, 2014 में 71.45 प्रतिशत और 2019 में 70.34 प्रतिशत मतदान हुआ था। सिरसा लोकसभा सीट में सर्वाधिक 69% मतदान हुआ। इस सीट पर पिछले चुनाव में 75.99 प्रतिशत मतदान हुआ था। फरीदाबाद लोकसभा सीट पर सबसे कम मतदान 59.7 प्रतिशत था। पिछले वर्ष इस लोकसभा सीट पर 64.1% मतदान हुआ था। मतदान के आंकड़े दिखाते हैं कि जहां किसान आंदोलन का प्रभाव था, वहां अधिक मतदान हुआ है। सिरसा, अंबाला, कुरुक्षेत्र ने पिछले दिनों हुए किसान आंदोलन का सबसे अधिक असर देखा है। इन स्थानों पर मतदान उत्कृष्ट रहा है। यहां किसानों ने बहुत अधिक वोटिंग की है।
हो सकता है बड़ा फेर बदल
रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के एकेडमिक अफेयर्स के पूर्व डीन और दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइसेंज के एकेडमिक अफेयर्स के पूर्व डीन प्रो. सुरेंद्र कुमार ने बताया कि मतदान कम होने के दो कारण हैं: एक, 2019 में लोगों में उत्साह कम था। पिछले चुनावों में राष्ट्रवाद और सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे ने लोगों को मतदान करने के लिए प्रेरित किया। इस बार अधिक गर्मी का कारण दूसरा था। विशेष रूप से बीमार और बुजुर्ग लोगों ने वोट देने से इनकार कर दिया है। उनका कहना था कि पुराने रुझान और अध्ययन बताते हैं कि मतदान कम या अधिक होने का परिणाम मिश्रित रहा है। प्रत्येक व्यक्ति को लाभ या नुकसान हो सकता है। ऐसा लगता है कि चार जून को परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं। सत्ता पक्ष के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर ने ऐसा लगता है कि भाजपा को नुकसान हो सकता है।