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Haryana News: हरियाणा में ग्रुप सी व डी के 53 हजार पदों की भर्ती का परिणाम रद्द, अब नए सिरे से होगी भर्ती प्रक्रिया

चंडीगढ़, Haryana News :- पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने ग्रुप सी और डी के लगभग 53 हजार पदों की परीक्षा का परिणाम रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने सीईटी के आधार पर नई मेरिट सूची बनाने का आदेश दिया है, जो सामाजिक और आर्थिक लाभ के बिना पांच अंक देता है।  हाईकोर्ट ने सभी पदों पर नए सिरे से आवेदन मांगने और छह महीने में भर्ती पूरी करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा कि नियुक्ति पा चुके 23 हजार कर्मचारी नई भर्ती पूरी होने तक सेवा में रहेंगे। यदि वे दोबारा आयोजित परीक्षा में पास नहीं होते और अपना स्थान नहीं बना पाते, तो वे बर्खास्त कर दिए जाएंगे। हाईकोर्ट ने सामाजिक और आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर जारी एक विस्तृत आदेश में कहा कि यह एक प्रकार का आरक्षण है। यह आर्टिफिशियल श्रेणी क्यों बनाई जा रही है जब राज्य सरकार ने आर्थिक पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया है?

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PPP धारकों को मान्यता दी गई

हाईकोर्ट ने कहा कि इस लाभ को देने से पहले कोई आयोग या डाटा नहीं जुटाया गया था। इस तरह, भर्ती का परिणाम पूरी तरह से बदल जाएगा अगर पहले सीईटी में पांच अंकों और फिर भर्ती परीक्षा में दो अंकों का लाभ मिले। इन अंकों का लाभ लेने के लिए केवल संविधान विरोधी परिवार पहचान पत्र (PPP) धारकों को मान्यता दी गई है। नियुक्ति से मिलने वाले लाभ राज्य के नागरिकों तक सीमित नहीं हो सकते। नीति निर्देशक सिद्धांत और अनुच्छेद 15 और 16 देश भर में लागू होते हैं। राज्य सरकार को सार्वजनिक रोजगार में नागरिकता के आधार पर विशेष आरक्षण लागू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती, अगर सभी नागरिक रोजगार पाने के हकदार हैं।

हाईकोर्ट ने दिया आदेश 

परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए, हरियाणा के मुख्य सचिव को अब कर्मचारी चयन आयोग का सचिव नियुक्त करने का आदेश दिया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि किसी विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक को यह काम देना चाहिए। हाईकोर्ट ने पारदर्शिता और एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए आयोग को नियम बनाने का आदेश दिया है, जिसमें उनके अधिकारियों और सदस्यों को स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार नहीं दिया गया है।

भर्ती प्रक्रिया पर सवाल

हाईकोर्ट ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण लगी। कुछ पदों से भी कम आवेदकों को शॉर्टलिस्ट किया गया था। क्या कारण था कि पदों के बराबर आवेदकों को शॉर्टलिस्ट किया गया जब 10 गुना अधिक आवेदक थे? हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 52471 में से 23 हजार पदों पर भर्ती के लिए 401 श्रेणियों (ग्रुप सी और ग्रुप डी) की घोषणा की थी। आयोग ने समान पदों को जोड़ते हुए इन श्रेणियों के कुल 63 समूह बनाए थे। ग्रुप सी में 32 हजार पद, टीजीटी में 7471 पद इसके अतिरिक्त, ग्रुप डी में 13 हजार से अधिक रिक्तियां हैं। इनमें से ग्रुप सी के 10 हजार और ग्रुप डी के 13 पदों पर अंतिम परिणाम जारी करने के बाद उनकी नियुक्ति भी हुई है।

यह था पूरा विवाद  

राज्य सरकार ने हरियाणा के लोगों को सामाजिक और आर्थिक कारणों से पांच प्रतिशत आरक्षण दिया था। सरकार ने ग्रुप सी और डी के रिक्त पदों को भरने के लिए एक संयुक्त योग्यता परीक्षा की व्यवस्था की थी। परीक्षा के परिणामों में आर्थिक और सामाजिक आधार पर पांच अंकों का लाभ दिया गया था। बाद में कुछ आवेदकों का दावा गलत पाया गया। इसके बाद आयोग ने दावा वापस लेने का अवसर दिया। 25 जुलाई 2023 को अंतिम परिणाम जारी किया गया, और 27 जुलाई 2023 को 6223 आवेदकों ने अपना दावा वापस लिया। ऐसे में परिणाम में बहुत से लोग शामिल हो गए जिन्होंने दावा वापस ले लिया, लेकिन अंकों का लाभ मिला।

हाईकोर्ट ने प्रश्न उठाया

जब राज्य में पिछड़े वर्गों को आरक्षण दिया जा रहा है, तो सामाजिक और आर्थिक आधार पर अंकों का लाभ क्यों दिया जा रहा है?
जबकि वे खुद सेवा में रह चुके हैं, एक्स सर्विस मैन श्रेणी में आरक्षण का लाभ कैसे दिया जा रहा है?
25 जुलाई 2023 को विभिन्न श्रेणियों के लिए परिणाम घोषित किए गए; 27 जुलाई को 6223 आवेदकों ने आर्थिक और सामाजिक आधार पर अपने अंकों को वापस ले लिया। 25 जुलाई का परिणाम ऐसे कैसे अंतिम माना जा सकता है?
परिणाम घोषित होने पर आवेदकों को दावा वापस लेने का अवसर मिला। दावा वापस लेने वालों को कार्रवाई के बजाय भर्ती में कैसे शामिल किया गया?

Rohit

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