इस मंदिर में आज भी विरजमान है हनुमानजी की 1000 साल पुरानी मूर्ति, एक बार माथा टेकने से बनते है सारे काम
बनासकांठा: गुजरात के बनासकांठा जिले में कई चमत्कारी और पौराणिक मंदिर स्थित हैं, जो आस्था और रहस्यमय कथाओं से भरे हुए हैं. इन्हीं में से एक है डीसा तहसील के वरना-जेणल गांव में स्थित प्राचीन भीनमालिया हनुमान मंदिर. यह मंदिर सदियों पुरानी आस्था और चमत्कारी मान्यताओं का प्रतीक माना जाता है. यहां हनुमान जी की 1000 साल पुरानी मूर्ति विराजमान है और इससे जुड़ी एक रोचक ऐतिहासिक कथा इसे और भी खास बनाती है.
मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा
भीनमालिया हनुमान मंदिर का इतिहास प्राचीन पिंगलगढ़ नगर से जुड़ा है, जो माना जाता है कि वर्तमान बस्ती के नीचे दबा हुआ है. कहा जाता है कि राजस्थान के भीनमाल की एक जैन समाज की बेटी अपने ससुराल जाते वक्त लुटेरों से बचने के लिए हनुमानजी से प्रार्थना करती है. मान्यता है कि हनुमानजी स्वयं उसकी रक्षा के लिए आए और इस स्थान पर विश्राम करने के बाद यहीं स्थापित हो गए. आज इस स्थान को मंदिर के रूप में पूजा जाता है.
आस्था का प्रमुख केंद्र
लोकल 18 से बात करते हुए मंदिर के पुजारी विनोदभाई गोस्वामी ने जानकारी दी, यहां हनुमानजी की मूर्ति पहले एक पेड़ के नीचे विराजमान थी. कालांतर में यहां मंदिर का निर्माण किया गया, जो आज एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बन चुका है. हर शनिवार और मंगलवार, दूर-दूर से भक्त यहां दर्शन करने आते हैं. माना जाता है कि यह मंदिर न केवल मन्नतें पूरी करता है, बल्कि कष्टों को भी दूर करता है.
भाई दूज का विशेष मेला
समाजसेवी दिनेशभाई नाई बताते हैं कि हर साल भाई दूज के दिन यहां बड़ा मेला लगता है, जिसमें सभी जाति-धर्म के लोग बिना किसी भेदभाव के शामिल होते हैं. इस दौरान भजन-कीर्तन और धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं. भक्त अपनी मन्नत पूरी होने के बाद यहां दर्शन करने आते हैं और स्वयं को धन्य महसूस करते हैं.