गेंहू की ये किस्म किसानों के लिए है वरदान, दो से तीन गुना बढ़ जाता है उत्पादन
नई गेहूं किस्म का करिस्मा: एक एकड़ में 35 क्विंटल उपज
कृषि वैज्ञानिक समय समय पर गेहूं की किस्मों पर शोध करते रहते हैं। खेती-किसानी में नई खोजें हमेशा से किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाती रही हैं, और यह नई किस्म भी कोई अपवाद नहीं है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस नई किस्म से प्रति एकड़ 30 क्विंटल से 35 क्विंटल तक गेहूं की उपज हो सकेगी, जबकि अब तक की किस्मों में यह आंकड़ा 15 से 20 क्विंटल के आसपास रहता था। इस नए गेहूं की पैदावार से किसानों की आमदनी भी बढ़ने का कार्य करेगी।
किसानों की बदलने वाली तकदीर
भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह के मुताबिक डीबीडब्ल्यू 327 गेहूं की नई किस्म में कई विशेषताएं हैं जो इसे बाकी किस्मों से अलग बनाती हैं। उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर 80 क्विंटल रोग प्रतिरोधक क्षमता बीमारियों का प्रभाव न के बराबर मौसम प्रतिरोधक क्षमता विपरीत मौसम में भी अच्छा उत्पादन
भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है कि यह नई किस्म अधिक उपजाऊ और बीमारियों से मुक्त है, जिससे फसल पर किसी तरह का रोग नहीं लगता। इसके अलावा, इसका उत्पादन अन्य किस्मों के मुकाबले कहीं अधिक है।
इस पर मौसम का असर नहीं
भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि इस किस्म की एक और बड़ी खासियत यह है कि मौसम में आए बदलाव जैसे कम बारिश, अधिक धूप या ठंड कम होने पर भी इसका उत्पादन प्रभावित नहीं होता। इस प्रकार, जिन इलाकों में मौसम के मिजाज की वजह से खेती में मुश्किलें आती हैं, वहां भी यह किस्म बेहतर परिणाम देगी।
विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली के किसानों के लिए यह बीज एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। इन इलाकों की मिट्टी और जलवायु इस बीज के लिए उपयुक्त मानी गई है। संस्थान के मुताबिक, जल्द ही इस बीज को किसानों तक पहुंचाया जाएगा, जिससे वे इसका लाभ उठा सकें।
गेहूं की नई किस्म से बदलेंगे हालात
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इस किस्म का सही ढंग से उपयोग किया जाए तो देश में गेहूं की पैदावार में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। किसानों की आय में वृद्धि होगी, जिससे उनका जीवन स्तर सुधरेगा और देश की खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होगी।
आने वाले समय में और बढ़ेगी पैदावार
भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि डीबीडब्ल्यू 327 के अलावा संस्थान ने गेहूं की अन्य किस्में भी विकसित की हैं, जिनसे उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में खेती और भी लाभकारी हो सकती है। नई तकनीक और बेहतर बीजों के इस्तेमाल से भारतीय किसान न सिर्फ अपनी फसलों की पैदावार बढ़ा पाएंगे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना सकेंगे।