HKRN के तहत निकाली गई भर्ती जांच के घेरे में, हाईकोर्ट ने जारी किया ये बड़ा आदेश
चंडीगढ़ :- प्रदेश में हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (HKRNL) की स्थापना की गई है, जिसके जरिए उम्मीदवारों को विभागों में अनुबंध आधार पर नियुक्तियां दी जाती है. फिलहाल, हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड के तहत अनुबंध के आधार पर की गई नियुक्तियां जांच के घेरे में आ चुकी है. कल यानी मंगलवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा के मुख्य सचिव को कोर्ट के फैसलों के उल्लंघन में ऐसी नियुक्तियां करने के लिए अवमानना याचिका पर एक नोटिस जारी किया है.
हाई कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करते हुए दी गई नियुक्ति
जस्टिस हरकेश मनुजा ने जगबीर मलिक द्वारा दायर अवमानना याचिका में आरोप लगाया है कि राज्य प्राधिकारियों ने हाई कोर्ट द्वारा जारी सामान्य निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना करते हुए यह नियुक्ति दी है. याचिका में ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की गई है. हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव और एचकेआरएनएल के सह अध्यक्ष विवेक जोशी तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमित खत्री को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि हाई कोर्ट के साथ- साथ सुप्रीम कोर्ट भी बार- बार सार्वजनिक रोजगार में तदर्थवाद को रोकने के लिए निर्देश जारी कर रहा है, ताकि संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक सार्वजनिक पदों पर नियुक्तियां की जा सके. हाई कोर्ट को बताया गया है कि 13 अगस्त 2004 को सज्जन सिंह बनाम हरियाणा राज्य और अन्य नामक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एक सामान्य निर्देश जारी किया था.
HKRN के माध्यम से लिया गया निर्णय
इस निर्देश के तहत, हरियाणा सरकार और उसके सभी विभागों के पदाधिकारियों को परियोजना कार्यों या निर्दिष्ट अवधि के कार्यों को छोड़कर कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर या दैनिक वेतन के आधार पर नियुक्ति करने पर रोक लगा दी गई थी. याचिका के मुताबिक हरियाणा सरकार ने एचकेआरएन के जरिये लाखों स्वीकृत पदों को भरने का फैसला किया है.
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ताक पर रखते हुए विज्ञापन जारी
HKRN के तहत, प्राथमिक शिक्षकों (पीआरटी), प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों (टीजीटी), स्नातकोत्तर शिक्षकों (पीजीटी), जूनियर इंजीनियरों (जेई), फोरमैन, लैब तकनीशियन, रेडियोग्राफर और स्टाफ नर्स आदि सहित विभिन्न पदों के लिए पात्र उम्मीदवारों से ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं. याची पक्ष ने दलील दी है कि हाई कोर्ट के साथ- साथ सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से पारित निर्णयों को ताक पर रखते हुए कॉन्टैक्ट के आधार पर लाखों स्वीकृत पदों पर विज्ञापन जारी किया गया है.