Driving License Apply: अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हुआ और कठिन, नए नियम मे हुआ ये बड़ा बदलाव
नई दिल्ली :- ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना और मुश्किल होने जा रहा है। अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने पहुंचने वाले आवेदकों को सिम्युलेटर और 108 कैमरों की परीक्षा को पास करना होगा। गाजियाबाद में 16 जनवरी से शुरू होने वाला ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर (डीटीसी) ड्राइविंग टेस्ट को और कठिन बनाने जा रहा है। इस अत्याधुनिक व्यवस्था से फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी और सड़क हादसों में कमी आएगी।
अब तक क्या थी व्यवस्था?
अभी तक संभागीय परिवहन कार्यालय में मैनुअल ही ड्राइविंग टेस्ट लिया जाता था। टेस्ट लेने के नाम पर खानापूरी होती है। इससे वह लोग भी टेस्ट में पास हो जाते थे जो वाहन चलाना नहीं जानते। इससे सड़क हादसों में इजाफा हो रहा है।
ड्राइवर की हर गतिविधि की होगी निगरानी
एजेंसी की देखरेख में टेस्ट होगा। वहीं, टेस्ट में पास या फेल करने की जिम्मेदारी अधिकारियों की होगी। चालक द्वारा गाड़ी चलाते समय उसकी हर गतिविधि की वीडियो रिकॉर्ड होगी। आवेदक को गाड़ी चलाने के साथ यातायात के सभी नियमों की जानकारी होनी चाहिए। यदि वाहन चलाने के साथ उसे प्रत्येक नियम की जानकारी है तो ही वह टेस्ट में पास हो जाएगा। इससे टेस्टिंग में होने वाला फर्जीवाड़ा पूरी तरह रुक जाएगा।
दलालों की फौज पर लगेगी रोक
ड्राइविंग टेस्ट में पास कराने के लिए बड़ी संख्या में दलाल संभागीय परिवहन कार्यालय के बाहर बैठे रहते हैं। दलाल बिना टेस्ट लिए ही आवेदक से पास कराने का दावा करते हैं। इसकी एवज में वह मुंह मांगे पैसे मांगते हैं। डीटीसी के शुरू होने पर कार्यालय के बाहर से दलालों की संख्या कम होगी। सेंटर पर 108 कैमरों का वीडियो रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जाएगा। इसे भविष्य में कभी चेक किया जा सकता।
50 प्रतिशत कम होंगे टेस्ट
वर्तमान में प्रति माह 5000 से अधिक लोगों को टेस्ट लिए जाते हैं लेकिन डीटीसी में 50 प्रतिशत टेस्ट लेने वालों की संख्या कम हो जाएगी। क्योंकि एक-एक व्यक्ति का नियम के अनुसार टेस्ट होगा। इससे वेटिंग की समस्या बढ़ सकती है। लोगों को टेस्ट के लिए लंबी तारीख मिलेगी। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि वेटिंग की समस्या नहीं होगी।
क्या है सिम्युलेटर?
सिम्युलेटर एक वास्तविक कार की प्रतिकृति है। इसमें स्टेयरिंग व्हील, गियर, ब्रेक, पैडल, संकेतक और स्विच और गति नियंत्रण लगा होता है। सिम्युलेटर हार्डवेयर और साफ्टवेयर द्वारा संचालित होती है। इससे ड्राइविंग व्यवहार के अध्ययन करने की प्रयोगशाला भी कह सकते हैं। इससे इको-ड्राइविंग प्रशिक्षण प्रदान भी किया जा सकता है।