सरसों के खेत में छिड़क दे बस ये चीज, तेल से भर जाएगा दाना और उत्पादन भी होगा बंपर
नई दिल्ली :- रबी सीजन का समय चल रहा है. इस सीजन में तिलहन की खेती भी बड़े पैमाने पर होती है. वहीं, तिलहन में सबसे ज्यादा सरसों की खेती की जाती है. बिहार के जहानाबाद में भी सरसों की खेती किसान बड़े पैमाने पर करते हैं. ऐसे में उनको यह उम्मीद भी रहती है कि फसल से अच्छी उपज भी मिले. ऐसे में कुछ जरूरी बातों का किसानों को ख्याल रखना पड़ता है. आप सब कुछ जैसे कीट प्रबंधन, सिंचाई, खाद सरसों के पौधों को सही ग्रोथ के लिए डाल देते हैं. लेकिन, क्या आप जिससे तेल प्राप्त करते हैं, उसकी मात्रा बढ़ाने के लिए जिस पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है, उसकी जानकारी आपके पास है या नहीं, अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको बताएंगे कि ऐसा क्या करें कि सरसों के दाने में से तेल अच्छी मात्रा में निकले.
सरसों में फूल आने के समय करें हल्की सिंचाई
कृषि विज्ञान केंद्र गंधार के कीट एक्सपर्ट डॉ. वाजिद हसन ने लोकल 18 से बताया कि बिहार में तीन तरह के सरसों की खेती की जाती है. पीली सरसों, काली सरसों के साथ एक अन्य किस्म की सरसों की खेती शामिल है. इस समय सरसों खेतों में लहलहा रहे हैं. अभी जो समय है, इस समय फूल आने का समय चल रहा है. ऐसे समय किसान को यह ध्यान देना चाहिए कि एक हल्की सिंचाई खेत में जरूर करें, ताकि तापमान में जो गिरावट आई है, उसका असर सरसों की खेती पर ना पड़े और पौधों की स्थिति स्वस्थ रहे. तापमान गिरने से रोगों के होने का खतरा रहता है.
ये उपाय से बढ़ जाएगी दाने में तेल की मात्रा
एक्सपर्ट के अनुसार सरसों के दाने में तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए सरसों की खेतों में 7 से 8 किलो प्रति एकड़ सल्फर का छिड़काव करें. इससे तेल की मात्रा बढ़ती है. अक्सर ऐसा होता है कि तिलहन वाली फसलों में तेल का मुख्य पदार्थ सल्फर होता है, लेकिन किसान इसका उपयोग खेतों में नहीं करते हैं. मिट्टी जांच के समय में यह पाया गया है कि यहां की मिट्टी में सल्फर की मात्रा बिल्कुल नॉर्मल है. हालांकि, तिलहन वाली फसलों को अतिरिक्त मात्रा में सल्फर देने की जरूरत होती है. नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटास के साथ-साथ सल्फर का भी सरसों, सूर्यमुखी की खेती में इस्तेमाल करें ताकि तिलहन फसल में दाने से अधिक तेल प्राप्त कर सकें. सल्फर का उपयोग करने से 3 से 4 प्रतिशत तक तेल की मात्रा बढ़ जाती है.
लाही को ऐसे करें नियंत्रित
उन्हाेंने बताया कि अभी फूल आने की अवस्था सरसों की खेती में चल रही है. यह समय काफी नाजुक होता है. ऐसे में किसानों को लाही का प्रकोप खेतों में शुरू होने वाला है. इससे बचने के लिए किसान अपने खेतों में येलो ट्रैप का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसे लगाने से उत्तर से जो ठंडी हवाएं आ रही है और साथ में लाही ला रही है, ऐसी स्थिति में वह उसी ट्रैप में जाकर चिपक जाएगी. अगर सरसों के फूलों पर लाही का प्रकोप 1 सेमी तक हो जाता है तो, ऐसे में शुरुआत में बचाव के लिए एक स्प्रे जरूर कर दें. इसके लिए नीम का तेल एजेडियरेक्टिन 3000 पीपीएम का 10 एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर दें, इससे काफी हद नियंत्रण हो जाएगा.