खाद्य आपूर्ति विभाग की बड़ी लापरवाही, 5 करोड़ 85 लाख रूपये का गेहूं खराब
करनाल :- खाद्य आपूर्ति विभाग की तरफ से Karnal के जुन्डला में निजी भूमि पर रखा हुआ 30000 क्विंटल गेहूं खराब हो गया. बता दे कि इस गेहूं की कीमत करीब 5 करोड़ 85 लाख रूपये बताई जा रही है. 2 साल पहले 2020-21 में लगे Stock कि आज तक भी नीलामी नहीं हो पाई है, जबकि इससे पहले और बाद के Stock का उठान भी हो गया है. बता दे कि 2 साल पहले 2020-2021 में गरीबों के लिए आवन्तिट गेहूं का जुंडला में भाटिया ओपन प्लीथ स्टॉक किया गया था, ताकि यहीं से जिले के Depot में भी गेहूं की आपूर्ति की जा सके. वही जरूरतमंदों के हिस्से का यह गेहूं लापरवाही की वजह से खराब हो गया.
लापरवाही की वजह से खराब हुआ 30000 क्विंटल गेहूं
गेहूं की गुणवत्ता अच्छी ना होने की वजह से डिपो की तरफ से इस गेहूं का उठान नहीं किया गया और विभाग की तरफ से भी इसकी देखरेख के लिए किसी प्रकार का कोई इंतजाम नहीं किया गया, जिस वजह से 30000 क्विंटल गेहूं सड़ गया. आज तक भी इस गेहूं की नीलामी नहीं की जा सकी है. गेहूं की देखरेख के लिए विभाग की ओर से यहां पर किसी प्रकार का कोई भी कर्मचारी नहीं रखा गया है. अब स्थिति यह है कि स्टॉक पर जो तिरपाल ढका हुआ था, वह भी फट चुका है. ज्यादातर स्टॉक में गेहूं के स्थान पर आटा निकल रहा है.
सभी लगा रहे हैं एक दूसरे पर गलती का आरोप
दूसरी तरफ डीएफएससी विभाग FCI को इसके लिए जिम्मेदार बता रहा है. उनका कहना है कि एफसीआई ने समय रहते गेहूं का उठान नहीं किया, जिस वजह से लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि गेहूं सड़ गया. साल 2019- 20 और 2021- 22 के गेहूं का उठान कर लिया गया. इस संबंध में FCI का कहना है कि जब उन्होंने गेहूं की जांच की, तो वह बिल्कुल भी खाने के लायक नहीं था.
पूरी तरह से खराब हो चुका अनाज
संयुक्त कमेटी ने भी इसकी जांच के बाद इसे Non इशयुबल घोषित कर दिया. 2 साल से डीएफएससी विभाग इसकी ऑक्शन कराने के लिए चंडीगढ़ ऑफिस का दरवाजा खटखटा रहा है, परंतु वहां से भी किसी प्रकार का कोई जवाब नहीं मिल पा रहा है. कोरोना महामारी के समय में गरीबों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के दौरान भी यह भाटिया प्लिंथ सुर्खियों में रही थी. गरीबों के लिए जो अनाज यहां से दिया गया था, अब वह पूरी तरह से खराब हो चुका है.