अब किसी भी अनजान को भूलकर भी न करें UPI से लेनदेन, वरना आपका बैंक अकाउंट होगा सीज
नई दिल्ली :- अगर आप भी यूपीआई के माध्यम से लेनदेन को प्राथमिकता देते हैं. हर जगह आप क्यूआर कोड स्कैन करते हुए पेमेंट कर रहे हैं. तो ऐसे सब लोगों को अब सावधानी रखने की आवश्यकता है. क्योंकि कई बार अनजान व्यक्ति के माध्यम से लेन देन की प्रक्रिया में अगर आप भी शामिल हो जाते हैं. तो आप साइबर क्राइम से संबंधित फ्रॉड की घटनाओं में शामिल हो सकते हैं. जी हां दरअसल साइबर फ्रॉड द्वारा स्कैम के पैसे को इस तरह से डिवाइड कर खुद बचने के लिए क्यूआर कोड का काफी उपयोग किया जा रहा है. यह जानकारी लोकल-18 से खास बातचीत करते हुए साइबर एक्सपर्ट आर्य त्यागी द्वारा दी गई.
अनजान लोगों से न करें लेनदेन
साइबर एक्सपर्ट आर्य त्यागी ने बताया कि अगर आप ऑनलाइन माध्यम से लेनदेन करते हैं, तो अनजान व्यक्तियों के क्यूआर कोड को स्कैन करने से बचें. क्योंकि काफी ऐसे केस देखने को मिल रहे हैं, जो कैश के लेनदेन के चक्कर में आपसे यूपीआई करा लेते हैं या यूपीआई कर देते हैं. इससे स्कैम के पैसे को ठिकाना लगाना शुरू कर देते हैं. इसके बाद जांच के दौरान ऐसे सभी लोग साइबर पुलिस के जांच के दायरे में आ जाते हैं. इसके बाद जांच के दौरान ही साइबर टीम द्वारा संबंधित लोगों के अकाउंट सीज करते हुए अन्य प्रकार की कानूनी कार्रवाई की जाती है.
50 रुपए के ट्रांजैक्शन में हो सकती है कार्रवाई
आर्य त्यागी कहते हैं लेनदेन प्रक्रिया के तहत अगर आपने यूपीआई से 50 रुपए भी लिए हैं. तब भी आपके अकाउंट को सीज किया जा सकता है. क्योंकि जो ब्लैक मनी सहित अन्य क्राईम का पैसा होता है, उसको साइबर फ्रॉड इसी तरीके से अलग-अलग अकाउंट में ट्रांसफर करने की रणनीति बनाते हैं. अलग-अलग अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने लगते हैं. जो कि साइबर दृष्टि से अलग-अलग लेयर मानी जाती है. उन्होंने बताया कि इसमें प्रथम, द्वितीय, तृतीय लेयर काफी गंभीर मानी जाती है. उसके बाद लेयर तो हल्की हो जाती है, लेकिन जांच के दायरे में वह सभी लोग आ जाते हैं, जिन्होंने भी अकाउंट में पैसा लिया है.
लेनदेन की हर हिस्ट्री का रखें रिकॉर्ड
आर्य बताते हैं कि इस तरह के केस में अगर बात करें तो सबसे ज्यादा जनसेवा केंद्र एवं साइबर केफै से संबंधित फ्रॉड देखने को मिल रहा है. जिसमें की कई बार जन सेवा केंद्र का खाता तक ब्लॉक कर दिया जाता है. इसलिए जनसेवा केंद्र का उपयोग करने वाले लोग भी लेनदेन से संबंधित हर तरह का रिकॉर्ड रखें. जिससे कि अगर इस तरह से किसी भी केस में जांच के दायरे में आएं, तो अपने बचाव में रिकॉर्ड को दिखा सके.
जहां से हुई होगी रिपोर्ट, वहीं लगाने पड़ते हैं चक्कर
बताते चलें कि अगर मेरठ की बात करें तो मेरठ के विभिन्न थानों में बनी साइबर सेल के पास इस तरह की बड़ी मात्रा में शिकायत देखने को मिल रही है. जहां लेनदेन के चक्कर में लोग साइबर फ्रॉड का शिकार हो चुके हैं. जांच की दृष्टि से अगर प्रथम लेयर का पता लगाया जाता है, तो उसमें पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश सहित दूर-दराज से बैठे लोगों की भूमिका नजर आती है. फिर संबंधित राज्य जाकर ही अकाउंट सीज से संबंधित सभी प्रकार की प्रक्रियाओं में प्रतिभाग करना होता है. ऐसे में सावधानी ही एक प्रमुख बचाव है.