हरियाणा में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किया कमाल, देशी गाय के खीस से बनाई डायरिया की दवा
करनाल :- राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) के वैज्ञानिकों ने देसी गाय के कोलोस्ट्रम (खीस) से प्राप्त व्हे प्रोटीन और पैप्टाइड से डायरिया की दवा बनाई है. इसके प्री- क्लिनिकल ट्रायल के परिणाम भी सकारात्मक रहे हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह नया उपचार खासकर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए एक कारगर विकल्प साबित हो सकता है. संस्थान के निदेशक डॉ. धीर सिंह के निर्देशन में डेयरी माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. शिल्पा विज इसपर रिसर्च कर रही है.
प्रोपेप फॉर्मूले पर आधारित
वैज्ञानिकों के अनुसार, दुनिया में डायरिया (दस्त) के ऐसे उपचार की जरूरत महसूस की जा रही है, जो नेचुरल प्रोडक्ट पर आधारित हो. इसी के मद्देनजर देसी गाय के कोलोस्ट्रम (खीस) से प्राप्त व्हे प्रोटीन से दवा तैयार करने के प्रोजेक्ट पर काम किया गया. इस रिसर्च के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) से फंडिंग मिली है. यह प्रोपेप फॉर्मूले पर आधारित है.
प्री- क्लिनिकल स्टडी करेंगे वैज्ञानिक
वैज्ञानिक पहले तैयार पाउडर की सुरक्षा और प्रभावशीलता की जांच के लिए प्री-क्लिनिकल स्टडी कर रहे हैं. देखा जा रहा है कि यह फॉर्मूला डायरिया की गंभीरता और अवधि को कम करने में कितना असरदार है. इससे डायरिया के उपचार में एंटीबायोटिक्स पर निर्भरता कम हो सकती है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना
दुनिया में डायरिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो खासतौर पर कुपोषित बच्चों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को प्रभावित करता है. अभी तक इसका इलाज मुख्य रूप से शरीर में पानी की कमी पूरी करने और लक्षणों को नियंत्रित करने पर केंद्रित है, लेकिन प्रोपेप न केवल संक्रमण से लड़ने में मदद करेगा, बल्कि इम्यूनिटी सिस्टम भी मजबूत करेगा. कोलोस्ट्रम में प्राकृतिक रूप से इम्युनोग्लोबुलिन और एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने और संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं. प्रोपेप कोलोस्ट्रम व्हे प्रोटीन के माइक्रोबियल फर्मेटेशन से तैयार किया जाएगा.