CIBIL Score: लोन की क़िस्त नहीं भरने से नहीं इस छोटी से गलती से खराब होता है CIBIL स्कोर, 99% लोगो को नहीं है जानकारी
नई दिल्ली :- सिबिल स्कोर (CIBIL score) को केवल लोन की रीपेमेंट हिस्ट्री (Repayment History) ही प्रभावित नहीं करती है। इसके अलावा भी ऐसे कई फैक्टर्स हैं जिनपर सिबिल स्कोर (CIBIL Score) निर्भर करता है। यह सभी फैक्टर सिबिल स्कोर को प्रभावित करते हैं। अगर आप भविष्य में बैंक से लोन लेना चाह रहे हैं और अपनी क्रेडिट हिस्ट्री (Loan Credit History) को स्ट्रांग रखना चाहते हैं तो दूसरे फैक्टर्स जानना आपको बहुत जरूरी हैं।
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CIBIL Score को कर लें मैनेज
जब कोई भी बैंक से लोन (Bank Loan) लेने जाता है तो बैंकों के उपभोक्ता के सिबिल स्कोर (CIBIL score) की जांच करता है। सिबिल स्कोर कम होने पर बैंक लोन देने से मना कर देते हैं। अगर कम सिबिल स्कोर (CIBIL Score) में उपभोक्ता को लोन मिल भी जाता है तो उन्हें अधिक ब्याज दर भुगतानी पड़ती है। ऐसे में जरूरी हैं कि आप अपने सिबिल स्कोर को मैनेज करके ही रखें।
सिबिल स्कोर को ये बातें करती हैं प्रभावित
लोग सोचते हैं कि सिबिल स्कोर (CIBIL score) केवल लोन रीपेमेंट हिस्ट्री (Repayment History) पर ही निर्भर करता है। परंतु, इससे अलग भी कई फैक्टर्स सिबिल स्कोर को प्रभावित करते हैं। इसमें सबसे पहले यह ध्यान रखना होगा कि अपने लोन और क्रेडिट कार्ड के बिलों का समय अनुसार भुगतान करें। तभी क्रेडिट हिस्ट्री (CIBIL Score History) को स्ट्रांग बनाकर रख सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड का करें सही से प्रयोग
सिबिल स्कोर (CIBIL Score) क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो से भी प्रभावित होता है। आप अपने क्रेडिट कार्ड की लिमिट (CIBIL Score effects) में से कितना रुपया इस्तेमाल कर रहे हैं और कितना यूज करना रहता है, इन दोनों के अंतर को ही क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो कहा जाता है। जितना ज्यादा यूज करोगे उतना ही ज्यादा आपका क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो बढ़ेगा। अगर आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट एक लाख रुपये है तो 70,000 हजार रुपये का खर्च करने पर आपका क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो 70 फीसदी होगा। यह कम रखना बेहतर होता है।
30 फीसदी से ज्यादा न हो क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो
वहीं, अब आप सोच रहे होंगे कि कितना क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो रखें। तो बता दें कि आपका क्रेडिट (credit card) यूटिलाइजेशन रेश्यो 30 फीसदी से अधिक न ही हो तो सही है। कभी कभार यह ज्यादा हो सकता है, लेकिन ये हर महीने ही अधित रहा है तो बैंक सोचते हैं कि आपकी आय इतनी नहीं है कि आप अपनी जरूरतें पूरी कर सकें। इस वजह से भी आपका क्रेडिट स्कोर खराब होता है।
लोन टाइप पर भी करता है निर्भर
अगर आप अपना सिबिल स्कोर (CIBIL Score) अच्छा रखना चाहते हैं तो लोन टाइप में भी बैलेंस रखें। सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड लोन दो तरह के होते हैं। इसलिए अपने सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड लोन में संतुलन रखें। अगर अन-सिक्योर्ड लोन ज्यादा लिया गया है तो इससे आपके सिबिल स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
न करें लोन सेटलमेंट
अकसर लोग लोन लेने के बाद उसका भुगतान नहीं कर पाते। ऐसे में बैंक ऑपश्न (Banking rules) देता है कि आप लोन को सेटल कर लें। आप भी लोन से छुटकारा पाने के लिए ऐसा कर लेते हैं। लेकिन, लोन सेटलमेंट करना अच्छा नहीं माना जाता। अगर आपके पास पैसे नहीं है तो आप उस समय लोन को सेटल कर लें और भविष्य में पैसे होने के बाद अपने सभी बकाया को जमा करा दें। इससे आपका सिबिल स्कोर ठीक होगा।
बार बार न करें लोन चेक
अकसर लोग लोन लेने से पहले बार बार लोन के बारे में जांच करते रहते हैं, अगल अलग बैंकों से लोन इन्कवायरी (CIBIL Score) करते हैं, इससे लोन संस्थान क्रेडिट ब्यूरो आपकी लोन की रिपोर्ट ले लेता है। तो बार बार चेक करने से भी सिबिल स्कोर खराब हो सकता है। वहीं, बार बार लोन लेने से भी ये प्रभावित होता है, बार बार लोन लेने को हार्ड इन्क्वारी के नाम से जाता है।