सरकार बेचने जा रही है ये 5 सरकारी बैंक, ग्राहकों को नहीं आ रही है नींद
नई दिल्ली :- सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी बेचने की योजना काम पूरा हो चुका है. सरकार, 5 बैंकों में 20% तक हिस्सेदारी घटाने की योजना है. भारत सरकार ने 5 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) में अपनी हिस्सेदारी 20% तक घटाने की योजना बनाई है. SEBI के नियमों के अनुसार, सभी लिस्टेड कंपनियों को 25% सार्वजनिक हिस्सेदारी (public shareholding) बनाए रखनी होगी. इस पूरे मामले पर बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार ने विस्तार से खबर की है.
किन बैंकों में सरकार बेचेगी हिस्सेदारी
सरकार इन 5 सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी कम करके 75% से नीचे लाने की योजना बना रही है.
1. बैंक ऑफ महाराष्ट्र – सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी 86.46% 2. इंडियन ओवरसीज बैंक – सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी 96.38% 3. यूको बैंक – सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी 95.39% 4. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया – सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी 93.08% 5. पंजाब एंड सिंध बैंक – सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी 98.25%
आइए जानते हैं कितनी होगी हिस्सा बिक्री
बैंक | सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी | कितनी हिस्सेदारी की होगी बिक्री |
UCO Bank | 95.39% | 20.39% |
इंडियन ओवरसीज बैंक | 96.38% | 21.38% |
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया | 93.08% | 18.08% |
पंजाब एंड सिंध बैंक | 98.25% | 23.25% |
बैंक ऑफ महाराष्ट्र | 86.46% | 11.46% |
अगले 4 साल में यह प्रक्रिया पूरी करने के लिए सरकार ने निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) और वित्तीय सेवा विभाग (DFS) के साथ मिलकर एक रोडमैप तैयार किया है. SEBI के नियमों के अनुसार, सभी लिस्टेड कंपनियों को 25% सार्वजनिक हिस्सेदारी (public shareholding) बनाए रखनी होगी. सरकारी बैंकों को यह नियम लागू करने के लिए अगस्त 2026 तक का समय दिया गया है.
हिस्सेदारी कैसे बेचेगी सरकार? रिपोर्ट बताती हैं कि सरकार दो मुख्य तरीकों से हिस्सेदारी बेचने जा रही है
ऑफ़र फॉर सेल (OFS) – सरकार सीधे अपनी हिस्सेदारी बेचकर फंड जुटाएगी. क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) – नए शेयर जारी किए जाएंगे, जिससे बैंकों को अतिरिक्त पूंजी मिलेगी. हालांकि, सरकार का मुख्य फोकस OFS पर रहेगा, ताकि सरकारी खजाने के लिए अधिक फंड जुटाया जा सके.
सरकार क्यों बेच रही हिस्सेदारी
SEBI नियमों का पालन करने के लिए. बैंकों में सरकार की अधिक हिस्सेदारी को कम करके बाजार में अधिक तरलता (liquidity) लाने के लिए. बैंकों को निजी निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बनाने के लिए. सरकारी खर्चों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त फंड जुटाने के उद्देश्य से.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार के पास ₹43,000 करोड़ से अधिक की अतिरिक्त हिस्सेदारी है, जिसे सेकेंडरी मार्केट के जरिए बेचा जा सकता है. जिनके पास शेयर है उनके पास क्या हैं ऑप्शन- शेयर बाजार में हलचल: सरकारी बैंकों के शेयरों में अस्थिरता देखने को मिल सकती है. हिस्सेदारी कम होने से ये बैंक बेहतर प्रबंधन और दक्षता की ओर बढ़ सकते हैं.बैंकिंग सेक्टर में सुधार:- इससे बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत हो सकती है और उनकी ग्रोथ तेज़ हो सकती है. सरकार का अगला कदम- सोमवार को सरकार ने चुनिंदा सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी घटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. DIPAM ने मर्चेंट बैंकर्स और लीगल एडवाइज़र्स से बोलियां आमंत्रित की हैं ताकि इस हिस्सेदारी बिक्री को सुचारू रूप से पूरा किया जा सके. बजट 2021-22 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही घोषणा की थी कि सरकार IDBI बैंक समेत दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की योजना बना रही है.