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सरसों और गेहूं बोने वाले किसानों यह बड़ा झटका, अब इस भाव पर खरीद करेगी सरकार

नई दिल्ली :- किसान साथियों और व्यापारी भाइयों,  केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रबी विपणन सत्र 2025-26 के लिए छह प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की घोषणा की है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य प्रदान करना और कृषि क्षेत्र में आर्थिक मजबूती को बढ़ावा देना है। किसानों की आय में सुधार और महंगाई को ध्यान में रखते हुए सरकार ने गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों और केसर के समर्थन मूल्य में वृद्धि की है। रबी फसलों के लिए समर्थन मूल्य तय करने की प्रक्रिया कई कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें उत्पादन लागत, मांग-आपूर्ति संतुलन, घरेलू और वैश्विक बाजार की परिस्थितियाँ, महंगाई दर और किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना शामिल है। सरकार का यह कदम किसानों को न्यूनतम जोखिम पर बेहतर मूल्य दिलाने में सहायक होगा।

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गेहूं की एमएसपी में वृद्धि

किसान साथियों भारत में गेहूं सबसे अधिक उगाई जाने वाली प्रमुख रबी फसल है। सरकार ने गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में ₹150 प्रति क्विंटल की वृद्धि की है, जिससे यह ₹2275 प्रति क्विंटल से बढ़कर ₹2425 प्रति क्विंटल हो गया है। यह बढ़ोतरी किसानों के लिए एक राहत भरी खबर है, क्योंकि उत्पादन लागत में बढ़ोतरी के चलते पिछले कुछ वर्षों में उनकी लाभप्रदता प्रभावित हुई थी। गेहूं उत्पादन के लिए प्रमुख राज्यों में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं। इन राज्यों में किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने और खुले बाजार में संभावित मूल्य गिरावट से बचाने के लिए सरकार समर्थन मूल्य के तहत अधिक खरीद करने की योजना बना रही है। हाल के वर्षों में उर्वरकों, मजदूरी और परिवहन लागत में वृद्धि के कारण उत्पादन लागत बढ़ी है, जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह वृद्धि की है।

सरसों का एमएसपी कितना

सरसों की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और गुजरात में होती है। सरकार ने सरसों के समर्थन मूल्य में ₹300 प्रति क्विंटल की वृद्धि कर इसे ₹5950 प्रति क्विंटल कर दिया है। यह निर्णय तिलहन किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि तिलहन फसलों की कीमतें हाल के वर्षों में अस्थिर रही हैं। सरसों का उपयोग मुख्य रूप से खाद्य तेल के रूप में किया जाता है और भारत में खाद्य तेलों की मांग लगातार बढ़ रही है। देश में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार समर्थन मूल्य बढ़ाने के साथ-साथ सरसों की खरीद प्रक्रिया को भी तेज करने की योजना बना रही है।

चना और मसूर मिलेगा नया प्रोत्साहन

भारत में दालों की मांग बहुत अधिक है और चना व मसूर इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सरकार ने चना के न्यूनतम समर्थन मूल्य में ₹210 प्रति क्विंटल की वृद्धि कर इसे ₹5650 प्रति क्विंटल कर दिया है, जबकि मसूर का एमएसपी ₹275 बढ़ाकर ₹6700 प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इन बढ़ोतरी का मुख्य उद्देश्य दालों के उत्पादन को प्रोत्साहित करना और घरेलू आपूर्ति को मजबूत करना है। चना और मसूर की खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार में होती है। हाल के वर्षों में दालों की वैश्विक कीमतों में तेजी देखी गई है, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिलने की संभावना बढ़ गई है। सरकार भी घरेलू उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि कर रही है।

जौ और केसर पर भी समर्थन मूल्य

सरकार ने जौ की एमएसपी में ₹130 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर इसे ₹1980 प्रति क्विंटल कर दिया है। जौ मुख्य रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश में उगाया जाता है। यह फसल मुख्य रूप से पशु चारे और बीयर उद्योग में उपयोग की जाती है। समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा और वे इसकी खेती के लिए अधिक इच्छुक होंगे। इसके अलावा, केसर के समर्थन मूल्य में ₹140 की वृद्धि कर इसे ₹5940 प्रति क्विंटल कर दिया गया है। केसर उत्पादन जम्मू-कश्मीर में सीमित मात्रा में होता है और इसकी खेती के लिए विशेष जलवायु की आवश्यकता होती है। समर्थन मूल्य बढ़ने से किसानों को इस महंगी फसल के उत्पादन में अधिक प्रोत्साहन मिलेगा।

जूट पर कितना एमएसपी

सरकार ने कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य को ₹5650 प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में ₹315 की वृद्धि दर्शाता है। पश्चिम बंगाल, असम और बिहार में जूट की खेती होती है, और इस क्षेत्र के 82% से अधिक किसान इस फसल पर निर्भर हैं। पिछले वर्षों में जूट की कीमतों में अस्थिरता देखी गई थी, लेकिन सरकार की एमएसपी नीति किसानों को राहत देगी। समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी से जूट की खेती को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी। सरकार द्वारा की गई यह बढ़ोतरी उत्पादन लागत और वैश्विक बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए तय की गई है। जूट उद्योग को पुनर्जीवित करने और किसानों को लाभ दिलाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है।

Author Deepika Bhardwaj

नमस्कार मेरा नाम दीपिका भारद्वाज है. मैं 2022 से खबरी एक्सप्रेस पर कंटेंट राइटर के रूप में काम कर रही हूं. मैंने कॉमर्स में मास्टर डिग्री की है. मेरा उद्देश्य है कि हरियाणा की प्रत्येक न्यूज़ आप लोगों तक जल्द से जल्द पहुंच जाए. मैं हमेशा प्रयास करती हूं कि खबर को सरल शब्दों में लिखूँ ताकि पाठकों को इसे समझने में कोई भी परेशानी न हो और उन्हें पूरी जानकारी प्राप्त हो. विशेषकर मैं जॉब से संबंधित खबरें आप लोगों तक पहुंचाती हूँ जिससे रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं.

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