अगले महीने से दिल्ली में पड़ सकता है बसों का आकाल, सड़कों से हटेंगी तीन हजार बसें
नई दिल्ली :- दिल्ली में अगले महीने से बसों का संकट पैदा हो सकता है। डीटीसी की लगभग दो हजार बसों के अलावा लगभग एक हजार क्लस्टर बसें भी सड़कों से हट सकती हैं। ऐसे में अगर नई बसें नहीं आईं तो दिल्ली में बस यात्रियों के लिए दिक्कतें बढ़ सकती हैं। फिलहाल मौजूदा स्थिति को भांपते हुए दिल्ली सरकार अगले सप्ताह नए बस ऑपरेटरों से बातचीत करने जा रही है, ताकि पता लगाया जा सके कि नई बसें कब तक आएंगी। ऐसे में ये भी संभावना है कि क्लस्टर की एक हजार बसों को एक्सटेंशन दे दिया जाए ताकि यात्रियों को परेशानी से बचाया जा सके।
इसी महीने के अंत में खत्म होने वाली है लाइफ
सरकारी सूत्रों के मुताबिक डीटीसी की 1932 बसों की लाइफ इसी महीने के अंत में खत्म होने वाली है यानी 15 साल पूरे होने के बाद डीटीसी की बसें सड़कों से हटानी ही पड़ेंगी, लेकिन क्लस्टर की जिन एक हजार बसों का कॉन्ट्रेक्टर खत्म होने जा रहा है, उन बसों की अभी लगभग चार वर्ष की लाइफ है यानी इन बसों का डिम्टस के साथ कॉन्ट्रेक्ट तो खत्म हो रहा है, लेकिन बसों की लाइफ अभी भी बची हुई है। इनमें से 124 बसें दिलशाद गार्डन, 238 बसें राजघाट, 306 बसें कैर और 290 बसें ओखला व दिचाउं कलां डिपों की हैं। इन बसों के लिए अलग अलग कॉन्ट्रेक्टर हैं, लेकिन अगर ये बसें हटती हैं तो इसका असर यमुनपार के अलावा देहात के इलाकों पर भी पड़ेगा, यहां पहले से ही बसों की कमी है। ऐसे में अगर ये बसें हट जाती हैं तो ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की दिक्कत अधिक बढ़ जाएगी।
एक हजार बसों का कॉन्ट्रेक्ट खत्म
सूत्रों का कहना है कि क्लस्टर की जिन लगभग एक हजार बसों का कॉन्ट्रेक्ट खत्म हो रहा है, उनकी जगह नई बसें लाने के लिए पहले ही कॉन्ट्रेक्ट किया जा चुका है। अब इनकी जगह नई इलेक्ट्रिक बसें आनी हैं। लेकिन बसों की सप्लाई में हो रही देरी की वजह से वे बसें अभी नहीं आ पा रही हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े लोगों का कहना है कि इस वक्त देशभर से इलेक्ट्रिक बसों की डिमांड है। ऐसे में मैन्युफैक्चर्स को इन बसों की डिमांड पूरी करने में कुछ वक्त लगेगा।
डिपो खाली करना मुश्किल
दिल्ली में दूसरी दिक्कत ये है कि इलेक्ट्रिक बसें लाने से पहले डिपो में इलेक्ट्रिक बसों की चार्जिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना पड़ेगा। ऐसे में पुरानी बसों के होते हुए डिपो खाली करना मुश्किल हो जाएगा। अब पुराने कॉन्ट्रेक्टरों की ओर से सरकार को ये सलाह भी दी जा रही है कि जब तक इलेक्ट्रिक बसें नहीं आ जातीं, तब तक सीएनजी की उन एक हजार बसों को फिलहाल चलाने के लिए एक्सटेंशन दे दिय जाए। कॉन्ट्रेक्टर्स का ये भी कहना है कि जब डीटीसी की सीएनजी बसें दिल्ली में 15 साल चल सकती हैं तो फिर क्लस्टर की बसों को 15 साल चलाने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है।
फॉर्मूला तय करे दिल्ली सरकार
ट्रांसपोर्ट विभाग के सूत्रों का कहना है कि इसी हफ्ते सरकार सभी पक्षों से बातचीत करने जा रही है। इनमें इलेक्ट्रिक बसें लाने वाले नए कॉन्ट्रेक्टर भी शामिल हैं ताकि पता लगाया जा सके कि नई बसें आने में अभी कितना वक्त लगने जा रहा है। सरकार उनके जवाब के आधार पर ही आगे के लिए फैसला ले सकती है। ये भी संभव है कि सरकार ऐसा फॉर्मूला तय करे कि जितनी नई बसें आएंगी, उतनी पुरानी बसों को सड़कों से हटाया जाए। इससे बसों का संकट भी नहीं बढ़ेगा और पुरानी की जगह नई बसें भी आ जाएंगी।