11 महीने में तैयार हो जाती है पपीते की फसल, बीज बोने के बाद नहीं करनी होती मेहनत
नई दिल्ली :- पश्चिम चम्पारण सहित बिहार के कई ज़िलों में पपीते की बागवानी बड़े स्तर पर की जाती है. कम लागत में अधिक आमदनी को देखते हुए ज्यादातर किसान फलों की बागवानी की तरफ बढ़ रहे हैं. जानकार बताते हैं कि खेती बागवानी से पहले यदि आप फसल की उन्नत प्रजातियों का चुनाव करते हैं, तो स्थिति और भी लाभदायक हो सकती है. ऐसे में आज हम आपको पपीते की कुछ बेहद ही उन्नत प्रजातियों की जानकारी देने वाले हैं, जिसकी बागवानी आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.
786 प्रजाति का चुनाव
पिछले डेढ़ दशक से कार्यरत, कृषि तथा बागवानी विशेषज्ञ रविकांत पांडे बताते हैं कि पपीते की बागवानी में किसानों को रेड लेडी ताइवान 786 प्रजाति का चुनाव ज़रूर करना चाहिए. इसके चुनाव से महज़ एक वर्ष में आप प्रति एकड़ 15 लाख रुपए की आमदनी बड़ी आसानी से कर सकते हैं. ज़िले के योगापट्टी प्रखंड निवासी कृषक अजय दूबे ने इसकी बागवानी की है, चलिए हम आपको बताते हैं कि उनका क्या कुछ कहना है.
हर पेड़ से क़रीब 95 प्रतिशत तक फलन
अजय बताते हैं कि रविकांत के माध्यम से उन्होंने एक एकड़ में रेड लेडी की क़रीब 1000 पौधों को लगाया था. लगाने के महज़ 11 महीने में ही हर पेड़ से क़रीब 95 प्रतिशत तक फलन हो गया.बात यदि आंकड़ों की कि जाए तो, हर पेड़ से औसतन 50 किलो तक पपीते का फलन हुआ.यानी 1000 पेड़ से क़रीब 50 हज़ार किलो पपीते का फलन.बकौल अजय, बाज़ार में 25 रुपए प्रति किलो की बिक्री से उन्होंने लगभग 13 लाख रुपए की कमाई की.
एक एकड़ में क़रीब 1000 पौधों की रोपनी
रविकांत बताते हैं कि कृषि बागवानी में पपीते के अलावे शायद ही ऐसी कोई अन्य फसल है, जिसकी फॉर्मिंग से एक वर्ष में ही 12 से 15 लाख रुपए की कमाई संभव हो पाए.बहरहाल, यदि आप पपीते की ताइवान रेड लेडी 786 की बागवानी करते हैं, तो 6–6 फीट की दूरी पर पौधों की रोपनी करें. एक एकड़ में क़रीब 1000 पौधों की रोपनी हो पाएगी, जिसकी खरीदारी से लेकर अन्य खर्चे में क़रीब 2 लाख रुपए की लागत आएगी.
60 किलो तक पपीते
लगाने के 11 महीनों में ही प्रति पेड़ से 60 किलो तक पपीते का फलन होता है.ऐसे में एक एकड़ में लगाए गए 1000 पेड़ से क़रीब 60 हज़ार किलो पपीते का फलन होता है.बाज़ार में यदि आप इसे 25 रुपए की दर से भी बेचते हैं, तो 15 लाख रुपए की आमदनी तय है.अब आप खुद ही सोचिए कि बागवानी में फलों की उन्नत नस्लों का चुनाव करना कितना लाभदायक है.