टमाटर के भाव 2 रूपए भी न मिलने से हरियाणा के किसानों का हाल बेहाल, पट्टे की ज़मीन का भी नहीं निकल रहा खर्च
फरीदाबाद :- किसी ने सच ही कहा है “ज़मीन पर पसीना बहाने वाले ही सबसे सच्चे उम्मीदवाले होते हैं.” कुछ ऐसा ही जज़्बा देखने को मिला फरीदाबाद के नवादा गांव में, जहां किसान कृष्ण बीते 14 सालों से पट्टे की ज़मीन पर टमाटर की खेती कर रहे हैं. उम्र सिर्फ 36 साल है, लेकिन चेहरे की लकीरें बताती हैं कि ज़िंदगी से दो-दो हाथ करने का तजुर्बा किसी बुज़ुर्ग से कम नहीं.

कृष्ण उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले से आए हैं और फरीदाबाद की मिट्टी को अपनी कर्मभूमि बना लिया है. उनका सपना बड़ा नहीं है, बस इतना कि मेहनत से उगाई गई फसल से परिवार की जरूरतें पूरी हो जाएं, बच्चों की फीस समय पर भर सकें, और ज़मीन मालिक को सालाना 36,000 रुपये पट्टे का किराया समय पर दे सकें. मगर हालात दिन-ब-दिन कठिन होते जा रहे हैं.
कृष्ण ने बताया कि उन्होंने दो बीघा खेत में शकाटा कंपनी के टमाटर बीज बोए हैं, जिसकी एक पैकिंग 500 रुपये की आती है. खेत की तीन-चार बार जुताई, खाद और नर्सरी की तैयारियों के बाद ही फसल की शुरुआत होती है. कई बार नर्सरी खराब हो जाती है, तो सब कुछ दोबारा करना पड़ता है. छह महीने तक चलने वाली इस मेहनत के बाद जो टमाटर मंडी में पहुंचता है, उसका रेट सुनकर दिल बैठ जाता है, 100 रुपये प्रति कैरेट, जिसमें 28-30 किलो टमाटर होता है.