कुछ ही दिनों में इंसान को अपंग बना देती है यह दाल, बेजान हो शरीर का निचला हिस्सा
नई दिल्ली :- भारतीय समाज में खान-पान का विशेष महत्व है और उसमें दालों की अहमियत तो सभी जानते हैं। लंच हो या डिनर भोजन में दाल तो जरूर बनती है। दालें पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, जो इनसान के शरीर को जरूरी पोषण देती हैं, वहीं कई बिमारियों से भी दूर रखती हैं। डाक्टर भी सलाह देते हैं कि भोजन में दाल जरूरी होनी चाहिए। दाल का पानी तो शरीर को गजब की एनर्जी देता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि इनसान के लिए दाल का खाना बेहद फायदेमंद है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक दाल ऐसी भी है, जो शरीर को पोषण नहीं, बल्कि शरीर को अपंग कर देती है। कमर के नीचे का हिस्सा बेजान हो जाता है। आज हम आपको एक ऐसी दाल के बारे में बताएंगे, जो शरीर के लिए बेहद खतरनाक है, जिसके चलते इस दाल को प्रतिबंधित किया गया है।

कौन सी है यह दाल
ऐसी दाल को शरीर को अपंग बना देती है, उसका नाम खेसारी की दाल है, जो उत्तरी भारत में पाई जाती है और खेतों में आसानी से उग आती है। यह दाल छोटी-छोटी फलियों के रूप में होती है और फलियां खोलकर इस दाल को निकाला जाता है। दिखने में यह दाल अरहर की तरह होती है। इस दाल को गरीबों की दाल भी कहा जाता है, क्योंकि यह काफी सस्ती और आसानी से उगने वाली दाल है। खेसारी दाल का वैज्ञानिक नाम लैथाइरस सैटाइवर है, दलहन है। दाल में बीटा आक्जैलिल अमीनो एलैनीन नामक केमिकल पाया जाता है। वर्ष 1961 में इस दाल को बैन कर दिया गया था, क्योंकि इसके खाने से कई लोगों में अपंगता के लक्षण देखे गए, जिस कारण इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इस दाल में न्यूरोटॉक्सिन और कुछ जहरीले एसिड पाए जाते हैं, जो इनसानी शरीर के लिए बेहद खतरनाक हैं।
कैसे अपंग हो जाते हैं
हम पहले ही कह चुके हैं कि खेसारी दाल में न्यूरोटॉक्सिन और कुछ जहरीले एसिड हाते हैं, जो खतरनाक हैं। हालांकि इस दाल को कभी-कभार खाने से नुकसान नहीं होता, लेकिन अगर इसका नियमित सेवन करते हैं, तो यह शरीर को अपंग बनाना शुरू कर देती है। यह दाल शरीर के नर्वस सिस्टम को सुन्न कर देती है। इसमें मौजूद टॉक्सिन से गठिया जैसी बिमारी भी हो सकती है। यही कारण है कि इस दाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हालांकि अब प्रतिबंध हटाने की मांग लगातार हो रही है।
दाल में कितना ODAP
खेसारी दाल में 31 प्रतिशत प्रोटीन होती है, जबकि इसमें विषैले ओडीएपी (ऑक्सालिल्डियामिनो प्रोपियोनिक एसिड) की मात्रा 0.15 से 0.35 प्रतिशत तक रहती है। ओडीएपी एक जहरीला पदार्थ है, जो खेसारी दाल में पाया जाता है, जो इनसान को अपंग करने के लिए उत्तरदायी है। हालांकि इनसान अपंग तभी होगा, जब इसका इस्तेमाल बहुत बार किया जाए।
दाल के फायदे
खेसारी दाल इनसानी शरीर के लिए हानिकारक है, लेकिन अगर इसका इस्तेमाल आंशिक रूप से किया जाए, तो यह शरीर की कई बिमारियों को भी दूर करती है। इसके सेवन से पेट की समस्या दूर होती है। आंखों के लिए यह दाल काफी लाभदायक है। प्रदूषण से त्वचा को बचाती है। प्रोटीन और आयरन से भरपूर यह दाल शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करती है। सिर्फ ध्यान यही रखना है कि इसे ज्यादा मात्रा में न खाया जाए।
प्रतिबंध हटाने की मांग
महाराष्ट्र ने इस दाल से प्रतिबंध हटा दिया है। जनवरी 2015 में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद और एफएसएसएआई की एक विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की थी कि इस दाल के बिक्री भंडारण पर प्रतिबंध हटा दिया जाना चाहिए। नवंबर 2015 में एफएसएसएआई ने सिफारिश की कि कम ओडीएपी वाली किस्मों पर प्रतिबंध हटाया जा सकता है। 2016 में भारत सरकार ने घोषणा की कि वह खेसारी दाल पर पांच दशक पुराना प्रतिबंध हटा देगी। हालांकि प्रतिबंध खत्म होने की कोई औपचारिक अधिसूचना नहीं है।
2023 में यूके का शोध
फरवरी 2023 में यूके के शोधकर्ताओं ने सुधार के लिए लक्षणों की पहचान और चयन करने के लिए एक ड्राफ्ट जीनोम असेंबली प्रकाशित की, जो उच्च प्रोटीन, कम इनपुट, सहनशील, जलवायु-स्मार्ट फसल विकसित करने में मदद करे और जो छोटे किसानों के लिए उपयुक्त हो। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि बाजार में बेची जा रही दाल कम ओडीएपी वाली है या नहीं।