नई दिल्ली

मनरेगा योजना में बड़ा बदलाव अब 150 दिन काम ,और 400 रुपये रोजाना मेहनताना

नई दिल्ली :- भारत में ग्रामीण विकास और पंचायती राज पर संसद की स्थायी समिति ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत कई सुधारात्मक कदम उठाने की सिफारिश की है। समिति ने श्रमिकों के कार्य दिवसों को बढ़ाकर 100 से 150 दिन करने और उनके दैनिक वेतन को ₹400 प्रति दिन करने का प्रस्ताव किया है। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों के आर्थिक हालात को बेहतर बनाने और योजना की प्रभावशीलता को बढ़ाने के उद्देश्य से उठाए गए हैं।

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Majdur

समिति ने मनरेगा की कार्यप्रणाली का मूल्यांकन करने के लिए एक स्वतंत्र और पारदर्शी सर्वेक्षण कराने की सिफारिश की है, ताकि योजना में सुधार की दिशा में कदम उठाए जा सकें। इस सर्वेक्षण में श्रमिकों की संतुष्टि, भुगतान में देरी, और योजना में वित्तीय अनियमितताओं की जांच की जाएगी। साथ ही, सोशल ऑडिट को अधिक पारदर्शी बनाने पर भी जोर दिया गया है, ताकि योजना के सही कार्यान्वयन की निगरानी की जा सके।

मनरेगा के तहत रोजगार दिनों की बढ़ोतरी

समिति ने मनरेगा के तहत श्रमिकों के लिए रोजगार के दिनों की संख्या में वृद्धि का सुझाव दिया है। वर्तमान में यह योजना 100 दिन का रोजगार देती है, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 150 दिन करने का सुझाव दिया गया है। इस प्रस्ताव से योजना की उपयोगिता में वृद्धि होगी और यह अधिक ग्रामीण श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएगा। इसके अतिरिक्त, समिति ने सूखा राहत के तहत काम की अवधि को बढ़ाकर 200 दिन करने का भी प्रस्ताव किया है।

समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि वन क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के परिवारों के लिए 150 दिन का काम और कमजोर वर्गों के लिए 200 दिन तक रोजगार दिया जाना चाहिए। यह कदम कमजोर समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद करेगा और उनकी जीवन स्थिति में सुधार करेगा।

मजदूरी दरों में सुधार की सिफारिश

समिति ने महंगाई के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए मनरेगा में मजदूरी दरों को बढ़ाने की सिफारिश की है। वर्तमान दरें ग्रामीण श्रमिकों के दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं। समिति ने कहा कि श्रमिकों को कम से कम ₹400 प्रति दिन का पारिश्रमिक दिया जाना चाहिए, ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें और बुनियादी जरूरतों को पूरा कर सकें।

मजदूरी भुगतान में देरी और मुआवजे की वृद्धि

मनरेगा के तहत श्रमिकों को समय पर वेतन नहीं मिलने की समस्या को लेकर भी समिति ने चिंता व्यक्त की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मजदूरी भुगतान में देरी के कारण श्रमिकों की वित्तीय स्थिति प्रभावित होती है, जिसके लिए मुआवजे की दर को बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। साथ ही, सामाजिक ऑडिट की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने पर जोर दिया गया है, ताकि सभी श्रमिकों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा सके।

जाब कार्ड के समाप्त होने की समस्या

समिति ने 2021-22 में लगभग 50.31 लाख जाब कार्ड की समाप्ति पर भी चिंता व्यक्त की है। यह समाप्ति वर्तनी संबंधी त्रुटियों और आधार कार्ड में विसंगतियों के कारण हुई थी। समिति ने सुझाव दिया है कि सरकार को एक मैन्युअल सत्यापन प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए, ताकि श्रमिकों को मनरेगा से अन्यायपूर्ण तरीके से बाहर न किया जा सके।

Author Komal Tanwar

नमस्कार मेरा नाम कोमल तंवर है. मैं 2022 से खबरी एक्सप्रेस पर बतौर कंटेंट राइटर काम करती हूँ. मैं प्रतिदिन हरियाणा की सभी ब्रेकिंग न्यूज पाठकों तक पहुंचाती हूँ. मेरी हमेशा कोशिश रहती है कि मैं अपना काम अच्छी तरह से करू और आप लोगों तक सबसे पहले न्यूज़ पंहुचा सकूँ. जिससे आप लोगों को समय पर और सबसे पहले जानकारी मिल जाए. मेरा उद्देशय आप सभी तक Haryana News सबसे पहले पहुँचाना है.

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