Mandi Bhav: सरसों का उत्पादन करने वाले किसानों को डबल झटका, 3000 रूपए कम हुए सरसो के दाम
फतेहाबाद :- जिन भी किसानों ने अबकी बार सरसों की फसल की बुवाई की है, उन पर दोहरी मार पड़ी है. पहले पाला पड़ने की वजह से सरसों के उत्पादन में कमी आई, अब समर्थन मूल्य से कम दामों पर सरसों को मंडियों में बेचना पड़ रहा है. इसकी वजह से सरसों उत्पादक किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. बता दें कि पिछले साल सरसों के दामों से अबकी बार करीब 3000 रूपये प्रति क्विंटल कम दाम दिए जा रहे हैं.
किसानों को झेलनी पड़ रही है दोहरी मार
हैफेड के अधिकारियों व व्यापार मंडल ने जानकारी देते हुए बताया कि सरसों में नमी व तेल की मात्रा कम होने की वजह से अबकी बार किसानों को सरसों के पूरे दाम नहीं मिल पा रहे हैं. पिछले साल जिले में सरसों 6 हजार से 7 हजार रूपये प्रति क्विंटल बिकी थी. उस समय सरसों का उत्पादन भी काफी अच्छा हुआ था, सरसों में प्रति एकड़ आमदनी देखकर किसानों ने इसका रकबा भी बढ़ा दिया, परंतु अबकी बार किसानों को निराशा हाथ लगी है.
इस वजह से घटा सरसों का उत्पादन
जहां पिछले साल 22000 हेक्टर भूमि पर सरसों की बिजाई हुई थी, अबकी बार यह आंकड़ा 25000 हेक्टर के करीब जा पहुंचा. सरकार ने सभी सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 400 रूपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 5450 रूपये प्रति क्विंटल किया, परंतु मौसम की मार की वजह से किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. सरसों की बिजाई से ही ज्यादा सर्दी पड़ना और बाद में पाला जमने से तापमान में अचानक कमी आ जाना. इस वजह से सरसों के उत्पादन में कमी आई और अब उन्हें उनकी फसलों के कम दाम मिल रहे हैं.
सरकार ने 15 मार्च से ही शुरू कर दी है सरसों की खरीद
आमतौर पर सरसों प्रति एकड़ 18 से 20 मण निकलती है, तो किसान उसे काफी अच्छा मानते हैं. वही अबकी बार औसत उत्पादन 15 से 18 मण के बीच ही रह गया है. पहले मौसम की मार और बाद में तेज गर्मी ने भी सरसों की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. अगेती बोई गई सरसों की फसल पहले पक गई. मंडियों में सरकारी खरीद 28 मार्च से शुरू होनी थी. किसान फसल लेकर मंडियों में आया, तो यहां उसे निजी व्यापारियों ने कम रेट लगा कर मनमानी की, इसी वजह से सरकार ने सरसों की आवक को देखते हुए 28 मार्च की बजाय 15 मार्च से ही सरसों की खरीद शुरू करने का फैसला किया, ताकि गरीब किसानों का शोषण ना हो.