Haryana News: हरियाणा के गांव में टूटी 75 साल पुरानी परंपरा, पहली बार महिलाओं ने चौपाल में की एंट्री
जींद :- प्राचीन समय से ही एक रूढ़ीवादी परंपरा चला चली आ रही है कि महिलाएं चौपाल में हिस्सा नहीं ले सकती. समय बदलता जा रहा है इसके बावजूद कुछ लोगों की सोच अभी भी रूढ़िवादी परंपराओं पर ही टिकी हुई है. आज भी एक ऐसा गांव है जहां महिलाओं को चौपाल में प्रवेश की अनुमति नहीं है. Sirsa से सांसद सुनीता दुग्गल Jind जिले के नरवाना के गांव कलौदा खुर्द में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची थी. इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने गांव की प्राचीन रूढ़िवादी परंपराओं को देखा.
आज भी जिंदा है रूढ़िवादी विचारधारा
जींद जिले के कलौंदा खुर्द गांव में कार्यक्रम के दौरान सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल शिरकत करने पहुंची थी. जब वह लोगों को संबोधित कर रही थी तो गांव की कुछ महिलाएं खिड़की पर खड़ी होकर उनके भाषण को सुनने लगी. तभी सांसद सुनीता दुग्गल की नजर महिलाओं पर पड़ी, सांसद ने महिलाओं को चौपाल में आने के लिए कहा. तब ग्रामीणों ने सांसद को बताया कि महिलाओं को चौपाल में शामिल होने की अनुमति नहीं है. यह सुनकर सांसद सुनीता दुग्गल आश्चर्यचकित रह गई. आप ये लेख KhabriExpress.in पर पढ़ रहे है. आपकी इस पोस्ट के बारे मे क्या राय है मुझे कॉमेंट बॉक्स मे जरूर बताएं
महिलाओं को चौपाल में शामिल होने की नहीं अनुमति
ग्रामीणों की बात सुनकर सांसद हैरानी में पड़ गई और उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि जब यहां महिलाएं प्रवेश नहीं कर सकती तो आप लोगों ने मुझे क्यों प्रवेश करने दिया. इस पर ग्रामीणों ने जवाब देते हुए कहा कि आप मेहमान हो. ऐसी रूढ़ीवादी परंपराओं को देखकर सांसद ने कहा कि अगली बार गांव को महिलाओं के के लिए रिजर्व करवाना पड़ेगा. तब जाकर गांव के रूढ़िवादी सोच और परम्परा बदलेगी. इसके प्रतिक्रिया स्वरूप ग्रामीणों ने जवाब देते हुए कहा कि गांव की सरपंच और Block समिति की मेंबर महिला ही है. इसके बाद सांसद ने पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए बाहर खिड़की पर खड़ी सभी महिलाओं को चौपाल के अंदर बुलाया और उनका जोरदार स्वागत किया गया.
सांसद ने ग्रामीणों का किया धन्यवाद
सिरसा सांसद सुनीता दुग्गल ने ग्रामीणों का धन्यवाद करते हुए कहा कि आप लोगों ने मेरे कहने से 75 साल पुरानी परंपरा को तोड़ा, इसके लिए मैं आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद करती हूं. इसके बाद उन्होंने कहा कि PM नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया है ताकि देश का लिंगानुपात सुधरे और देश की महिलाएं आत्मनिर्भर बन सके. आज आप लोगों ने मेरे कहने से मिलकर 75 साल पुरानी परंपरा को तोड़ा इसके लिए आपका धन्यवाद करते हुए मैं जो कहूं वह कम होगा. इसके बाद सभी महिलाओं ने चौपाल में बैठकर पूरे कार्यक्रम को सुना.