नई दिल्ली, Agriculture News :- जैसा की आपको पता है कि आज के मौजूदा समय में किसान आधुनिक खेती की और बढ़ता जा रहा है. किसी भी फसल उत्पादन के लिए प्राकृतिक संसाधन जल और मिट्टी की तो आवश्यकता होती ही है. पलामू में पानी की कमी की वजह से किसानों को हर बार परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहां बारिश काफी कम होती है, जिस वजह से किसानों की फसल नष्ट हो जाती है. इसके विपरीत, यदि किसान थोड़ा सा दिमाग लगाए और ऐसी खेती करें जिसमें कम पानी की आवश्यकता होती है तो वह बेहतर मुनाफा भी कमा सकते हैं.
कम पानी वाले इलाकों मे वरदान साबित हो रही है यह फसल
कुसुम एक ऐसी तिलहन फसल है. जिसके लिए आपको ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती, साथ ही इसे जंगली जानवर भी नष्ट नहीं कर सकते. पलामू के पड़वा गांव निवासी ओंमकार नाथ ने जानकारी देते हुए बताया कि इन इलाकों में नीलगाय और बंदर से हमेशा ही फासले प्रभावित होती रही है, ऐसे में वह ऐसी फसल को बढ़ावा दे रही है जिसे ना तो जानवर ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं ना ही ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है. इसकी लागत प्रति एकड़ मूल्य 10 हजार से ₹12000 है. इसकी प्रेरणा उन्हें गांव के ही एक निवासी से मिली थी.
इस फसल को पैदा करके किसान कमा सकते हैं अच्छा मुनाफा
उन्होंने उसे बीज भी उपलब्ध करवाए. फसल काफी बेहतर तैयार हुई और ना ही जंगली जानवर इसे किसी प्रकार का कोई नुकसान पहुंचा सके. क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक ने जानकारी देते हुए बताया कि पलामू की जलवायु कुसुम की खेती के लिए काफी अच्छी मानी जाती है, इसकी फसल कांटेदार होती है इसी वजह से जंगली जानवर या पशु इसको नुकसान नहीं पहुंच पाए और इसे लगाना भी बेहद ही आसान होता है. वर्षा के अभाव में नष्ट भी नहीं होती, इसके तेल को बाजार में 300 से 350 रुपए प्रति किलो के हिसाब से आसानी से बचा जा सकता है.