Agriculture Tips: रबी फसल के बाद किसान भाई करें इन फसलों की खेती, कम समय में होगी मोटी कमाई
नई दिल्ली :- बता दें कि यह फसल 40 से 90 दिनों का होता है और रबी फसल के हार्वेस्टिंग के तुरंत बाद इसे खेतों में लगाना लाभकारी हो सकता है और खरीफ सीजन से पहले इसकी हार्वेस्टिंग कर ली जाती है. ढैंचा और मूंग की खेती किसानों को दोहरा लाभ दे सकती है. इसका इस्तेमाल धान की खेती में हरा खाद के रुप में किया जा सकता है. एक आंकड़े के अनुसार 70 प्रतिशत नाइट्रोजन की पूर्ति ढैंचा हरी खाद का प्रयोग करने से हो जाती है. इसके कारण किसानों को उर्वरक पर खर्च की बचत हो जाती है. साथ ही इससे खेतों की उर्वरा शक्ति बरकरार रहती है तथा मिट्टी की जलधारण क्षमता में भी आशातीत वृद्धि हो जाती है.
उपज दर 10 क्विटल प्रति एकड़
वहीं चीना पोषक तत्वों से भरपूर है इसकी फसल सांवा जैसी होती है और यह सांवा, ज्वार, बाजरे, रागी आदि की तरह मोटे अनाज में शामिल है. यह पोषक तत्वों एवं फाइबर से भरपूर है. फसल दो माह में तैयार हो जाती है. चीना अब अमीरों की पसंद बन रही है. इसकी मांग बहुत बढ़ गई है. इस कारण यह तुलनात्मक रूप से सर्वाधिक लाभ अर्जित करने वाली फसल साबित हो रही है. इसकी उपज दर 10 क्विटल प्रति एकड़ तक होती है. इन दिनों इसके बाजार भाव 4800 से पांच हजार रुपये प्रति क्विंटल है.
85 से 90 दिन में फसल तैयार
तिल की फसल को नीलगाय खाना पसंद नहीं करती हैं. ऐसे में फसलों की बर्बादी भी नहीं होती है. वहीं, तिल की खेती में पानी की बहुत की कम जरूरत पड़ती है. यह फसल 85 से 90 दिन में फसल तैयार हो जाती है. ऐसे में तिल बेचकर वे लोग अच्छी कमाई कर रहे हैं. एक हेक्टेयर में तिल की खेती करते हैं, तो 6 से 7 क्विंटल उपज मिलेगी. इन दिनों इसके बाजार भाव 10-15 हजार रुपये प्रति क्विंटल है. गया जिला कृषि पदाधिकारी अजय कुमार सिंह बताते हैं कि इन फसलों की खेती किसानों को अच्छी आय दे सकती है और जल्द ही इसें अपने खेतों में लगा लें ताकि इसकी हार्वेस्टिंग समय से हो और खरीफ फसल की खेती में देरी न हो.