Ajab Gjab: ये है हरियाणा से सटा ऐसा गांव जहां दो मंजिला घर बनाना माना जाता है अशुभ, पुरे गांव में कोई भी घर दो मंजिल नहीं
चंडीगढ़ :- जैसा कि आपको पता है कि चंडीगढ़ भारत के सबसे खूबसूरत और साफ सुथरे शहरों में गिना जाता है. चंडीगढ़,पंजाब व हरियाणा के साथ- साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की भी राजधानी है. क्या आपको चंडीगढ़ के पास स्थित ऐसे गांव के बारे में जानकारी है, जहां पर कोई भी व्यक्ति दो मंजिल मकान नहीं बना सकता. आप भी सोच रहे होंगे कि क्या ऐसा हो सकता है, जी हां बिल्कुल. इस गांव की ऐसी मान्यता है कि अगर कोई घर के ऊपर यानि पहली मंजिल पर निर्माण कार्य करेगा, तो उसके घर को निश्चित रूप से नुकसान होगा.
क्यों इस गांव में कोई भी व्यक्ति नहीं बनता एक मंजिल से ज्यादा का घर
आप देख सकते हैं कि गांव में बने हर घर को नींव से उठाकर दीवारों के साथ छत तक ही बनाया जाता है. इस बारे में ग्रामीणों का कहना है कि छत के ऊपर किसी प्रकार का निर्माण करना पूरी तरह से वर्जित है, इसकी प्रमुख वजह गांव में बना माता जयंती देवी का मंदिर है. यहां आने के लिए लोगों को तकरीबन 150 से भी ज्यादा सीढ़िया चढ़नी होती है, तब जाके आपको माता की पिंडियों के दर्शन होते है. प्राचीन काल में बाबर के समय हथनौर का राजा एक हिंदू राजपूत था, जिसके 22 भाई थे. उनमें से एक भाई की शादी हिमाचल के कांगड़ा के राजा की बेटी से हुई थी.
ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है यह गांव
कांगड़ा से आई राजकुमारी माता जयंती देवी की बहुत बड़ी उपासक थी और वह राजकुमारी रोजाना माता रानी के दर्शन करने के लिए जलपान करती. इस दौरान उसने माता से कहा था कि मैं तुम्हारे बिना इतनी दूर कैसे रह पाऊंगी. उसी दौरान माता ने उन्हें सपने में दर्शन दिए और आश्वासन दिया था कि बेटी तुम्हारी डोली यहां से जिस समय उठेगी, उसी समय तुम्हारे साथ मेरी डोली भी साथ में उठेगी. शादी के बाद जब डोली नहीं उठी, तो सब लोग काफी चिंतित हो गए. इसके बाद राजकुमारी ने अपने पिता को अपने सपने के बारे में बताया. इसके बाद माता रानी की डोली को भी सजाया गया. लड़की और माता की डोली दोनों ही एक साथ विदा हुई. इसी दौरान राजा की तरफ से पुजारी को भी उनके साथ भेजा गया.
इस प्रकार की गई थी यहां मंदिर की स्थापना
इस वंश के पुजारी जब तक माता की पूजा करते आ रहे थे, जब कुछ सालों के बाद रानी और राजा की मृत्यु हो गई तो उसके बाद अगली पीढ़ीयो ने माता की पूजा अर्चना करनी बंद कर दी. इसी दौरान मनी माजरा जंगलों में रहने वाला डाकू जयंती देवी का बहुत बड़ा भक्त था. कहा जाता है की माता ने उसे दर्शन दिए और इसके बाद यहां पर माता का मंदिर बनवाया गया. माता की मूर्ति की स्थापना जयंती नदी के किनारे की गई है. वही मंदिर के पुजारी से जब इस बारे में बातचीत की गई, तो उनका मानना है कि कोई भी माता से ऊपर नहीं जा सकता.
इस वजह से घरों पर दूसरी मंजिल नहीं बनाई जाती
जैसे ही रानी की अगली पीढ़ियों की तरफ से माता की पूजा अर्चना बंद कर दी गई, तो डाकू के सपने में आकर माता ने आदेश दिया कि इस रियासत को पूरी तरह से बर्बाद कर दे. तब से ही माता के प्रकोप से बचने के लिए आज भी घरों पर दूसरी मंजिल नहीं बनाई जाती. इसी दौरान यदि किसी व्यक्ति की तरफ से घर बनाने की कोशिश भी की जाती है, तो निश्चित रूप से उसे नुकसान का खतरा बना रहता है या ना किसी न किसी वजह से अनहोनी घटी जाती है.