हरियाणा बोर्डमहेंद्रगढ़ न्यूज़

Haryana School News: हरियाणा में अब नहीं चलेगी प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, किताबों और स्कूल ड्रेस पर आया ये नोटिस

महेंद्रगढ़ :- गौरतलब है कि प्राइवेट स्कूल अपनी मनमर्जी कर रहें है. स्कूलों की तरफ से अभिभावकों को कुछ ऐसी चुनिंदा दुकानें बताई जा रही है केवल उन्हीं पर बच्चों की किताबें मिल सकती है. और निजी प्रकाशकों की यह बुक इतनी महंगी है कि इन्हें खरीदने में अभिभावकों के पसीने छूट रहे हैं. परन्तु, अब Private स्कूलों की मनमानी नहीं चल पायेगी. शिक्षा निदेशालय की तरफ से एक बड़ा कदम उठाया गया है.

Join WhatsApp Group Join Now
Join Telegram Group Join Now

school student

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभावकों में रोष

स्कूलों की ओर से अभिभावकों को न सिर्फ निजी प्रकाशकों की किताबें खरीदने को बाध्य किया जा रहा है, बल्कि वर्दी-जूते, जुराब के लिए भी Pressure डाला जा रहा है. ऐसे में क्षेत्र में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभावकों में रोष है. गंभीर हालातों को देखते हुए अब शिक्षा निदेशालय ने जिला शिक्षा अधिकारियों और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को Letter जारी किया है तथा स्कूलों के विरुद्ध कार्रवाई के आदेश जारी किये है. आप ये लेख KhabriExpress.in पर पढ़ रहे है. आपकी इस पोस्ट के बारे मे क्या राय है मुझे कॉमेंट बॉक्स मे जरूर बताएं.

विद्यार्थियों पर दबाव नहीं डाल सकते स्कूल

माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की तरफ से हरियाणा के सभी जिला शिक्षा अधिकारी और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को आदेश पत्र जारी किया है, पत्र में आदेश दिए गए है कि वे अपने क्षेत्र के मान्यता प्राप्त विद्यालयों को निर्देश दे कि कोई भी निजी विद्यालय हरियाणा विद्यालय शिक्षा (संशोधन) नियम 2021 के पैरा 3(6) के अनुसार अपने विद्यालय के विद्यार्थियों को अनुशंसित दुकान से Books, कार्य-पुस्तिकाएं, लेखन सामग्री, जूते, मौजे, Uniform इत्यादि खरीदने के लिए दबाव नहीं डाल सकता है.

नियम का उल्लंघन होने पर की जाएगी कार्यवाही

यदि कोई भी मान्यता प्राप्त स्कूल इस नियम का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियमावली 2003 अनुसार कार्यवाही होगी. सूबे के निजी स्कूलों की किताबों की अपनी-अपनी दुकानें तय हैं, जहां पर उनके स्कूल में लगाई गई किताबें मिलती हैं, किसी भी अन्य Shop पर ये Books उपलब्ध ही नहीं होती है. स्कूल अभिभावकों को किताबों की दुकानों का पता बता कर भेजते हैं, और अभिभावकों के पास भी वहां जाने के अलावा कोई Option नहीं होता. ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रत्येक स्कूल ने नीजी पब्लिशर के अनुसार अपनी पुस्तके लगाई हुई है.

मोलभाव भी नहीं कर सकते अभिभावक

अभिभावक इन पुस्तकों को खरीदते वक्त मोलभाव भी नहीं कर सकते. यदि कोई स्कूल से सिफारिश करवा दे तो 300-400 रुपए की छूट देकर राहत की Formality भी अच्छे से की जा रही है. छोटी कक्षा के Set भी लगभग 4 से 5 हजार रुपए के मिल रहे है. शहर के एक निजी स्कूल में चौथी में पढ़ने वाले छात्र के अभिभावक ने बताया कि उन पर दबाव बनाया जा रहा है कि उन्हें किताबें और कापियां स्कूल परिसर के अंदर से ही खरीदनी होंगी.

बताई गई दुकानों से पुस्तक खरीदने के लिए मजबूर

स्कूल में पूरा एक Package बनाकर Sale किया जा रहा है.  इसमें किताबें, कापियां और अन्य महंगे Stationary आइटम शामिल हैं. किताबों और स्टेशनरी के लिए लगभग चार से पांच हजार रुपए वसूले जा रहे है. कुछ Books भी हैं जो बहुत महंगे दामों पर मिल रही हैं. प्राइवेट स्कूलों के संचालक मुनाफाखोरी के चलते स्टेशनरी से लेकर किताबें और Uniform तक स्कूल के अंदर या फिर मनपसंद दुकान से उपलब्ध करवाते हैं. अभिभावक भी उनकी बताई दुकानों से ही पुस्तकें खरीदने के लिए मजबूर है. ऐसे में बच्चों कों पढ़ाना अभिभावकों के लिए भारी परेशानी बन रहा है.

Author Deepika Bhardwaj

नमस्कार मेरा नाम दीपिका भारद्वाज है. मैं 2022 से खबरी एक्सप्रेस पर कंटेंट राइटर के रूप में काम कर रही हूं. मैंने कॉमर्स में मास्टर डिग्री की है. मेरा उद्देश्य है कि हरियाणा की प्रत्येक न्यूज़ आप लोगों तक जल्द से जल्द पहुंच जाए. मैं हमेशा प्रयास करती हूं कि खबर को सरल शब्दों में लिखूँ ताकि पाठकों को इसे समझने में कोई भी परेशानी न हो और उन्हें पूरी जानकारी प्राप्त हो. विशेषकर मैं जॉब से संबंधित खबरें आप लोगों तक पहुंचाती हूँ जिससे रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button