Business Idea: आप भी सरकारी दवाई की दुकान खोल छाप सकते है मोटे पैसे, जाने जन औषधि केंद्र खोलने का फुल प्रोसेस
नई दिल्ली, Business Idea :- समय के साथ- साथ जनसंख्या बढ़ती जा रही है, जनसंख्या बढ़ने के कारण लोगों को रोजगार मिलना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में बिना रोजगार के घर परिवार चलाना चिंताजनक कार्य है. यदि आप घर में बेरोजगार बैठे हैं तो हम आपके लिए एक ऐसा बेहतर Option लाए हैं जिससे आप बेरोजगार भी नहीं रहेंगे और अच्छे खासी कमाई भी करेंगे. केंद्र सरकार के द्वारा जन औषधि योजना चलाई जा रही है. जिसमे लोगों को सस्ती दरों पर दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं.
अब तक खोल चुके 5000 से भी अधिक जन औषधि केंद्र
गरीब परिवारों की सुविधा के लिए केंद्र सरकार 5000 से अधिक जन औषधि केंद्र खोल चुकी है. इन केंद्रों पर लोगों को सस्ती दरों पर दवाइयां उपलब्ध करवाई जाती है. वहीं जन औषधि केंद्र खुलने से बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार मिला है. जन औषधि केंद्र शुरू करने में करीब 2.50 लाख रुपए तक का ही खर्चा होता है, जिसका पूरा खर्च सरकार उठा रही है. सरकार ने जेनेरिक मेडिकल स्टोर शुरू करने के लिए तीन तरह की Category बाटी हुई है.
जेनेरिक मेडिकल स्टोर की 3 कैटेंगरिया
पहली कैटेगरी के अंतर्गत कोई भी बेरोजगार व्यक्ति, फार्मासिस्ट, मेडिकल प्रैक्टिशन Store को शुरू कर सकता है. दूसरी कैटेगरी में NGO, प्राइवेट हॉस्पिटल, स्व सहायता समूह और सोसाइटी के लोगो को अवसर मिलेगा. वहीं तीसरी कैटेगरी में नॉमिनेट की गई एजेंसी शामिल होंगी. स्टोर शुरू करने के लिए 120 स्क्वेयर फीट मे दुकान होनी चाहिए, क्योंकि सरकार 900 तरह की दवाइयां उपलब्ध करवाएगी. इसके अलावा आपके पास रिटेल रसेल का लाइसेंस जन औषधि स्टोर के नाम से होना चाहिए. इसके लिए आप http://janaushadhi.gov.in पर जाकर फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं. फिर एप्लीकेशन फॉर्म ब्यूरो ऑफ फार्मा पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग ऑफ इंडिया के जनरल मैनेजर के नाम से भेजना होगा.
SC/ST और दिव्यांगजनों को मिलता है एक्स्ट्रा फायदा
यदि कोई व्यक्ति अस्पताल, फार्मासिस्ट, डॉक्टर PMJAY के तहत जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदन कर सकता है. वहीं SC/ST और दिव्यांग आवेदकों को 50000 रूपये तक की एडवांस दवाइयां भी दी जाती हैं. यदि कोई व्यक्ति स्वयं अप्लाई करता है तो उसे आधार कार्ड, पैन Card, संस्था बनाने का सर्टिफिकेट और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट देना होगा. इस कारोबार में आपको 30,000 रूपये प्रति महीना तक की कमाई हो सकती है. उत्तर पूर्वी राज्य, नक्सल प्रभावित इलाके और आदिवासी क्षेत्रों में यह इंसेंटिव 15 फीसदी तक हो सकती है. वहीं दवा की प्रिंट कीमत पर 20% तक का मुनाफा कमा सकते है.