Chanakya Niti: इन 3 जगहों पर कभी नहीं ना बनाए घर, जहन्नुम बन जाएगी जिंदगी
आचार्य चाणक्य का मूल नाम विष्णुगुप्त था. उन्हें चाणक्य के साथ ही कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर अर्थशास्त्र नामक पुस्तक लिखी, जिसमें जीवन का सार समझाया गया है. करीब 3 हजार साल पहले लिखी गई यह पुस्तक आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी पहले थी. उनकी लिखी हुई बातों को चाणक्य नीति कहा जाता है. आज हम मकान बनाने पर चाणक्य नीति के बारे में बताएंगे.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अपना खुद का घर बनाना हर किसी का सपना होता है. इसके लिए वह जिंदगीभर पैसे जोड़ता रहता है लेकिन अगर वह मकान बनाने के लिए गलत जगह का चुनाव कर ले तो उसके लिए वह नरक के समान हो जाता है. ऐसी जगह पर रहने से वह दिन-रात परेशानियों में घिरा रहता है और उसके बनते हुए काम भी अटकने लग जाते हैं.
किन जगहों पर नहीं बनाना चाहिए घर?
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जिस जगह पर लोगों में कानून और नियम-कायदों का डर न हो. ऐसे स्थान पर कभी भी घर नहीं बनाना चाहिए. ऐसी जगह पर हमेशा फसाद की आशंका बनी रहती है और जान-माल के नुकसान का भय होता है.
जहां के लोग संस्कार-विहीन हों
चाणक्य कहते हैं कि जहां के लोग संस्कार-विहीन हों और उनमें लोक-लाज का भय न हो, वहां पर घर बनाने से बचना चाहिए. ऐसी जगह पर घर बनाने से खुद की संगत तो खराब होती ही है. साथ ही बच्चे भी बिगड़ जाते हैं.
जहां पर रोजगार के साधन न होंं
चाणक्य नीति के मुताबिक, ऐसा स्थान जहां पर रोजगार के साधन न हों. जहां पर घर बनाना पैसा बर्बाद करने के समान होता है. ऐसी जगह पर निवास बनाने से हमेशा आजीविका का संकट बना रहता है और परिवार भूखों मरता है.
ऐसी जगह पर घर बनाना होता है सही
चाणक्य के अनुसार, जहां पर परोपकारी लोग रहते हों. दान-पुण्य करने में विश्वास करते हों. कानून का पालन करते हों. सहयोग की भावना रखते हों. शांत प्रवृति के हों और आसपास आजीविका के साधन भी हों. वहां पर घर बनाना हमेशा फायदेमंद रहता है.