Chanakya Niti: व्यक्ति के भाग्य में पहले ही लिख दी जाती हैं ये 5 चीजें, लाख चाहकर भी नहीं कर सकते हैं बदलाव
Chanakya Niti :- आचार्य चाणक्य को बड़ा राजनीतिज्ञ माना जाता है. आचार्य चाणक्य मौर्य साम्राज्य के समकालीन थे. उन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इतिहासकारों की मानें तो मौर्य राजवंश की स्थापना की नींव आचार्य चाणक्य ने रखी थी. आचार्य चाणक्य कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी विख्यात है. उनके द्वारा कई शास्त्रों की रचना की गई है. इनमें अर्थशास्त्र और Chanakya Niti प्रमुख हैं.
मां के गर्भ में ही लिखा जाता है भाग्य
आज भी अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति प्रासंगिक हैं. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जानकारी दी है. आचार्य ने भाग्य से मिलने वाली चीजों के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया है. आचार्य का कहना है कि मां के गर्भ में रहते वक्त ही प्राणी का भाग्य लिख दिया जाता है. कोई व्यक्ति चाह कर भी से नहीं बदल सकता. आइए आज हम आपको आचार्य की इन नीतियों के बारे में जानकारी देते हैं.
पहले से ही भाग्य में लिखी होती है आयु
आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति की आयु भाग्य में पहले ही लिख दी जाती है. इसके लिए व्यक्ति का निर्धारित समय पर जन्म होता है. वहीं, सांसारिक सुख-दुःख भोगने के बाद निश्चित तारीख पर व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है. व्यक्ति चाहकर भी अपनी आयु में बढ़ोतरी नहीं कर सकता.
भाग्य में पहले से ही लिखे होते हैं कर्म
कर्म के बारे में भी आचार्य चाणक्य द्वारा महत्वपूर्ण बातें बताई गई है. आचार्य के अनुसार, व्यक्ति जो भी कर्म करता है वह उसके भाग्य में पहले ही लिखा होता है. व्यक्ति को इस बारे में नहीं पता होता कि उसने पिछले जन्म में क्या क्या कर्म किए हैं इसके लिए वह अपने भाग्य को कोसता रहता है.
धन या बल से अर्जित नहीं की जा सकती विद्या
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि व्यक्ति के जीवन में सुख और दुःख पहले से लिखा होता है. इसके लिए उसके पास जितनी भी धन और संपत्ति होती है. वह पहले से लिखी होती है. उसके अनुरूप ही व्यक्ति को धन संपत्ति मिलती है. धन की तरह विद्या भी पहले से भाग्य में लिखी होती है. इसीलिए कोई भी व्यक्ति सिर्फ उतने ही विद्या प्राप्त कर सकता है जितना उसके किस्मत में लिखा होता है. कोई भी इंसान बल या धन से ज्यादा ज्ञान अर्जित नहीं कर सकता है.
मृत्यु भी होती है निर्धारित
आचार्य चाणक्य के अनुसार हर किसी की मृत्यु भी निर्धारित है. आचार्य चाणक्य की मानें तो तय समय पर व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है. व्यक्ति लाख चाहकर धन और बल से मरने से नहीं बच सकता. निर्धारित समय पर व्यक्ति को ये संसार छोड़कर जाना ही होता है.