Charkhi Dadri News: 65 सालों से लगातार गरीबों और रेल यात्रियों को खिला रहे निस्वार्थ खाना, सांझे चूल्हे के हो रहे हर तरफ चर्चे
चरखी दादरी :- भारत जनसंख्या के मामले में अब चीन से भी आगे हैं. जनसंख्या अधिक होने की वजह से हमारे देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें रोजी रोटी के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, परंतु फिर भी उन्हें समय पर खाना नहीं मिल पाता. इसके विपरीत हरियाणा का Charkhi Dadri शहर भूखे व बेसहारा लोगों की मदद के लिए दूसरे प्रदेशों में भी काफी चर्चाओं में बना हुआ है. आज की इस खबर में हम आपको एक ऐसे Railway Station के बारे में जानकारी देंगे, जहां पिछले 65 सालों से बेसहारा व भूखे यात्रियों को निशुल्क भर पेट खाना उपलब्ध करवाया जाता है.
चरखी दादरी का यह रेलवे स्टेशन बना दूसरे प्रदेशों में भी चर्चा का विषय
बता दें कि लाला फकीरचंद ने सन 1960 में दादरी रेलवे स्टेशन पर निशुल्क खाना वितरण करने की प्रक्रिया शुरू की थी, जो अब तक भी जारी है. चरखी दादरी प्रदेश का एकमात्र ऐसा स्टेशन है जहां पर पिछले 65 सालों से यात्रियों को निशुल्क भरपेट खाना खिलाया जाता है. इस स्टेशन पर रहने वाले बेसहारा व गरीब लोग कभी भी भूखे पेट नहीं सोते, चाहे कुछ भी क्यों ना हो. उन्हें खाना उपलब्ध करवाया ही जाता है. रामादल सेवा समिति की तरफ से यह साझा चूल्हा पिछले 65 सालों से चलाया जा रहा है और बेसहारा लोग इसका लाभ ले रहे हैं.
65 सालों से उपलब्ध करवाया जा रहा भोजन
पिछले 65 सालों में 1 दिन भी ऐसा नहीं आया, जब इस चूल्हे को बंद किया गया हो. जब इस चूल्हे की शुरुआत की गई थी तो 2 किलोग्राम आटे की रोटियां तैयार कर वितरित की जाती थी और अब यह मात्रा 70 किलोग्राम तक पहुंच गई है. यह मुहिम लाला फकीरचंद की तरफ से शुरू की गई थी और 38 साल उन्होंने इसे जारी रखा. 1998 में लाला फकीरचंद जी का देहांत हो गया. उसके बाद शहर के कई लोगों के प्रयास से इसे निरंतर जारी रखा गया और आज तक भी यह जारी है.
सुबह 10:30 बजे से 1:30 बजे तक मिलता है खाना
लाला फकीरचंद का सपना था कि शहर में कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोए, अर्थात सभी व्यक्तियों को भरपेट भोजन मिले. जिसे अब तक जन सहयोग से साकार भी किया जा रहा है. रामा सेवादल प्रधान विनोद गोयल की तरफ से जानकारी देते हुए बताया गया कि संस्था ने यात्रियों के भोजन बनाने के लिए 5 कर्मचारियों की Duty लगाई हुई है. इन कर्मचारियों के साथ सेवा दल के सदस्य सुबह 4:00 बजे से ही खाना बनाने में लग जाते हैं और सुबह 10:30 बजे से 1:30 बजे तक गाड़ी में बैठे, आने- जाने वाले यात्रियों को निशुल्क रोटी और सब्जी दी जाती है.