Panipat News: पानीपत में प्रसिद्ध है चिमन लाल हलवाई की कचौरी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी चख चुके है स्वाद
पानीपत :- हर किसी को Fast Food खाना बहुत पसंद होता है. भूख हो या ना हो कोई भी अपने मनपसंद खाने को मना नहीं करता. आपने भी कई बार कचौरी खाई होगी लेकिन क्या आपने कभी ऐसी कचौरी के बारे में सुना है जो बिना लहसुन और प्याज के बनाई जाती है. बगैर लहसुन प्याज के भी इसका स्वाद बेहद ही जायकेदार होता है. यदि आप भी इस कचौरी को चखना चाहते हैं तो आपको पानीपत आना होगा. इसका स्वाद इतना बेहतरीन है कि आप इसे बार-बार खाना चाहेंगे.
अटल बिहारी वाजपेयी भी रह चुके हैं मुरीद
आज हम जिस कचौरी की बात कर रहे हैं वह पानीपत के चिमन लाल कचौरी वाले के पास ही मिलेगी. देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी भी इस कचौरी का स्वाद चख चुके हैं. पूर्व प्रधानमंत्री भी चिमन लाल के पूरी- छोले के मुरीद थे. ऐसे में जब भी अटल बिहारी बाजपेयी पानीपत आते वह पूरी- छोले खाने जरूर जाते थे. कहा जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी सात्विक भोजन खाना पसंद करते थे और चिमन लाल पुरी वाला अपने भोजन में बिना लहसुन, प्याज की सब्जियां और बिल्कुल घर के स्वाद जैसी चीजें बनाते थे. यही वजह थी कि अटल बिहारी बाजपेयी के मन को चिमन के पूरी- छोले बहुत भाते थे.
Stage से भी की थी तारीफ
अटल जी ने तो Stage से भी चिमन हलवाई की कचौरी का जिक्र किया था. देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2001 में अटल ज़ी पानीपत में रिफाइनरी उद्घाटन के कार्यक्रम में आए थे, जब तालियों का शोर जोर से नहीं आया तो अटल जी ने कहा कि चिमन के पूरी छोले नहीं खाए क्या.. कहते हैं जब रिफाइनरी में भाषण के दौरान भोजन आया तो उनके लिए चिमन की दुकान से पूरी छोले मंगवाए गए थे.
200 साल पुरानी है दुकान
पानीपत के ऐतिहासिक किले पर पहले RSS का दफ्तर था और जब भी पूर्व प्रधानमंत्री यहां बने संघ के दफ्तर आते चिमन लाल के पूरी छोले खाते. एक दिन तो वह चिमन पूरी छोले वाले की दुकान पर ही पहुंच गए थे और उस दिन के बाद से ही चिमन लाल कचौरी वाले की दुकान की किस्मत बदली और ग्राहकों की भीड़ आने लगी. चिमनलाल की यह दुकान 200 साल पुरानी है और वर्तमान में उनकी नौवीं पीढी दुकान चला रही है. आज चिमन लाल कचौरी के नाम से दो दुकानें है जोकि उन्हीं के पोते चलाते हैं.